नई दिल्ली : (New Delhi) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को कहा कि यदि कोई उधारकर्ता सोने का लोन चुकाने में विफल रहता है और बैंकों तथा वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की ओर से सोने की नीलामी के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।
वित्त मंत्री ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के लिए भी इसी तरह के नियम लागू होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के बढ़ते स्वर्ण भंडार, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास मौजूद भंडार भी शामिल हैं, इसका उद्देश्य किसी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा को प्रतिस्थापित करना नहीं है।
लोकसभा में उन्होंने कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की इस चिंता का भी जवाब दिया कि क्या सोने की ओर वैश्विक रुझान प्रमुख निपटान तंत्र के रूप में अमेरिकी डॉलर से दूर जाने का संकेत है। सीतारमण ने कहा, “सोना रिजर्व बैंक में भी रखा जाता है और सोना रिजर्व बैंक द्वारा खरीदा भी जाता है लेकिन इसके अलावा, जहां तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा या संभावित मुद्रा का सवाल है, इस समय मेरे पास टिप्पणी करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है।”
वित्त मंत्री सीतारमण डीएमके सदस्य कनिमोझी करुणानिधि और कांग्रेस के मनीष तिवारी के सवालों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा था कि जब कोई संस्था स्वर्ण ऋण की अदायगी में चूक करती है तो सोने की नीलामी की जाती है। वहीं, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में सोने की मांग कम नहीं हुई है, बल्कि इसके विपरीत इसमें बढ़ोतरी हो रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक खाताधारकों को यह बताने के लिए पर्याप्त संख्या में नोटिस देने की एक प्रक्रिया है कि उनकी सेवा ठीक नहीं है।