नई दिल्ली : (New Delhi) मानक जीवनशैली में चुनिंदा आसन और प्राणायाम को शामिल करते हुए 40 मिनट की दैनिक योग दिनचर्या से मधुमेह होने का जोखिम लगभग 40 प्रतिशत तक कम हो सकता हैl
मधुमेह शोधकर्ताओं एवं चिकित्सकों के विश्व के सबसे बड़े संगठन “रिसर्च सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया” (Research Society for the Study of Diabetes in India) (आरएसएसडीआई) के अध्ययन के मुताबिक भारत में पांच केंद्रों पर तीन वर्षों तक किए गए इस अध्ययन में लगभग 1,000 प्री-डायबिटीज व्यक्तियों को शामिल किया गया। इस अध्ययन में बताया गया है कि 40 मिनट का दैनिक योग अभ्यास, जिसमें चुनिंदा आसन और प्राणायाम शामिल हैं, साथ ही मानक जीवनशैली को अपनाने से मधुमेह होने के जोखिम को लगभग 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आरएसएसडीआई अध्ययन ‘योग और मधुमेह की रोकथाम पर भारतीय मधुमेह रोकथाम अध्ययन (आईपीडीएस)’ जारी किया। यह अध्ययन प्रतिष्ठित एल्स्वियर लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया गया है।
यह अध्ययन आरएसएसडीआई के सदस्यों के एक समूह द्वारा किया गया है, जिसमें यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, मधुमेह, एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर एसवी मधु, मधुमेह एंडोक्राइन पोषण प्रबंधन और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर एचबी चंदालिया, मणिलेक रिसर्च सेंटर जयपुर के डॉ अरविंद गुप्ता और अन्य गण्यमान्य शामिल हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अध्ययन के निष्कर्षों को भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए संभावित रूप से “गेम चेंजर” बताया। वर्तमान में 101 मिलियन से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक अवस्था में हैं, इसलिए अध्ययन का साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण बढ़ती महामारी से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।