नैनीताल : (Nainital) हाई कोर्ट (The High Court) ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदाता सूची में स्थानीय नगर निकाय और ग्राम पंचायत, दोनों मतदाता सूचियों में दोनों जगह नाम दर्ज वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दिए जाने संबंधी राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर रोक लगाते हुए स्पष्ट किया है कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाने के कारण वह चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है।
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष (bench of Chief Justice G. Narender and Justice Alok Mehra) मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार शक्ति सिंह बर्त्वाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय व पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में हैं जिनमें रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय लिए हैं इससे कहीं तो प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हो गए हैं जबकि कहीं उनके नामांकन स्वीकृत हो गए हैं। याचिका में कहा कि देश के किसी भी राज्य में दो अलग मतदाता सूचियों में नाम होना आपराधिक माना जाता है। याचिका में उत्तराखंड में इस प्रथा पर सवाल उठाया गया था। याची ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को 7 और 8 जुलाई को पत्र प्रेषित कर उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में नगर निकाय चुनाव की मतदाता सूची में शामिल मतदाताओं को मतदान और नामांकन से रोकने को दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। कार्यवाही न होने पर पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उप धारा 6 व 7 का समुचित पालन न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की थी। मामले के अनुसार आयोग की ओर से 6 जुलाई को संबंधित नोटिफिकेशन जारी किया गया था जबकि जिला निर्वाचन अधिकारियों को पूर्व में सितंबर 2019 में दिशा निर्देश जारी किए गए थे।