Mumbai : हाइलैंड सुपर स्पेशियलिटी में सफल एसीएल सर्जरी के बाद सुनीत कोपरा बने नैशनल एंड्योरेंस साइक्लिस्ट

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मुंबई: (Mumbai) ठाणे के हाइलैंड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हुई सफल एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) (anterior cruciate ligament) रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी ने सुनीत सुरेश चंद्र कोपरा की जिंदगी बदल दी। कभी घुटने की गंभीर चोट से जूझ रहे सुनीत आज राष्ट्रीय स्तर के एंड्योरेंस साइक्लिस्ट के रूप में पहचाने जाते हैं।

क्रिकेट से साइक्लिंग तक का सफर

47 वर्षीय सुनीत कोपरा (Sunil Kopra) क्रिकेट के शौकीन रहे हैं और जिला स्तर तक खेल चुके हैं। लेकिन 2019-20 में एक क्रिकेट मैच के दौरान लगी घुटने की चोट ने उनका करियर रोक दिया। डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने हाइलैंड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के प्रमुख आर्थोपेडिक एवं आर्थोस्कोपी सर्जन (orthopedic and arthroscopy surgeon) डॉ. बाबासाहेब चव्हाण से इलाज कराया। डॉ. चव्हाण ने एमआरआई स्कैन के बाद एसीएल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी की सलाह दी।

सर्जरी और कठिन पुनर्वास

सर्जरी के बाद सुनीत ने दिन में तीन बार घंटों तक फिजियोथेरेपी (physiotherapy) की। कोविड काल में स्विमिंग संभव न होने के कारण उन्होंने साइक्लिंग को चुना और धीरे-धीरे लंबी दूरी तक पैडलिंग शुरू कर दी। लगातार अभ्यास और डाइटिंग से उन्होंने महज चार महीने में 18 किलो वजन घटाया।

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

साइक्लिंग में बढ़ते जुनून ने सुनीत को राष्ट्रीय एंड्योरेंस साइक्लिंग की दुनिया में पहचान दिलाई (world of national endurance cycling) । आज वे 200 किलोमीटर से लेकर 1200 किलोमीटर तक की दूरी तय करने वाले साइक्लिस्ट के रूप में मशहूर हैं।

डॉक्टरों की राय

हॉस्पिटल के निदेशक गोपाल सिंह (Hospital director Gopal Singh) ने कहा, ‘सुनीत की सर्जरी हमारे अस्पताल की सफलता और कई एथलीटों के लिए प्रेरणा है। उनकी अनुशासित रिकवरी और समर्पण वाकई सराहनीय है। वहीं, डॉ. बाबासाहेब चव्हाण ने कहा,’एसीएल रिकंस्ट्रक्शन सर्जरी एथलीट्स को खेल के मैदान में लौटने में मदद करती है। सुनीत का उदाहरण बताता है कि सही उपचार और समर्पित पुनर्वास से खेलों में बड़ी वापसी संभव है।’

सुनीत की सीख

अपने अनुभव से सुनीत ने खिलाड़ियों को संदेश दिया कि धैर्य, अनुशासन और चिकित्सकों की सलाह का पालन खेलों में सफल वापसी के लिए सबसे जरूरी है। अधिकांश खिलाड़ी एसीएल सर्जरी और पुनर्वास के बाद अपने पुराने स्तर पर लौट सकते हैं।’ हाइलैंड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल (Highland Super Specialty Hospital) में हुई यह सर्जरी न सिर्फ एक चिकित्सा उपलब्धि है, बल्कि एथलीट्स के लिए प्रेरणा भी है कि सही इलाज और मेहनत से जीवन और करियर दोनों को नई दिशा दी जा सकती है।