मुंबई : (Mumbai) महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) के सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का जोरदार विरोध शुरु हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे (Maharashtra Navnirman Sena president Raj Thackeray) बुधवार को आरोप लगाया कि यह सब उत्तर भारत की आईएएस लॉबी की वजह हुआ है, जिसका वे जोरदार विरोध करेंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) की ओर से मंगलवार को देर रात को जारी शासनादेश में कहा गया है कि यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) (NEP) 2020 के तहत ‘स्कूल शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024’ को लागू करने का हिस्सा है। आदेश में कहा गया है कि इन प्राथमिक कक्षाओं में सभी छात्रों द्वारा हिंदी को “सामान्य रूप से” (“normally”) तीसरी भाषा के रूप में पढ़ा जाना चाहिए। एक सशर्त विकल्प की पेशकश में कहा गया है कि हिंदी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को सीखने के इच्छुक छात्रों को अपने स्कूल में प्रति कक्षा 20 छात्रों की आवश्यकता को पूरा करना होगा।
हालांकि, इससे पहले हिंदी का विरोध होने पर स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भूसे (School Education Minister Dada Bhuse) ने 22 अप्रैल को घोषणा की थी कि कक्षा 1 से 5 तक हिंदी अनिवार्य नहीं होगी। पिछले महीने ही पुणे में एक कार्यक्रम में मंत्री ने कहा था कि तीन-भाषा फॉर्मूला “स्थगित” है, जो माता-पिता के सुझावों पर विचार किए जाने तक जारी रहेगा। कक्षा 1 के बजाय कक्षा 3 से तीसरी भाषा शुरू करने के लिए कहा गया है और मौजूदा दो-भाषा प्रणाली को अभी के लिए बनाए रखा गया है।
शासनादेश जारी होने पर मराठी भाषा अभ्यास केंद्र के दीपक पवार (Deepak Pawar of Marathi Bhasha Abhyas Kendra) ने कहा, “सरकार ने मराठी लोगों के साथ विश्वासघात किया है।” पवार ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया, “यह हिंदी को पिछले दरवाजे से थोपने के अलावा और कुछ नहीं है। अगर हम अभी चुप रहे, तो यह संघीय ढांचे और संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की विरासत को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसंत कल्पांडे (Vasant Kalpande, former chairman of the Maharashtra State Board of Secondary and Higher Secondary Education) ने कहा, “प्रत्येक कक्षा में 20 छात्रों द्वारा गैर-हिंदी भाषा का चयन करना असंभव है। ऑनलाइन शिक्षण प्रावधान भी हिंदी के अलावा किसी अन्य भाषा को चुनने को हतोत्साहित करने का एक प्रयास है।” उन्होंने विकासात्मक उपयुक्तता पर सवाल उठाते हुए कहा, “हालांकि मराठी और हिंदी की लिपियाँ समान हैं, लेकिन उनके बीच की बारीकियों और अंतरों को सीखना ऐसे युवा छात्रों के लिए बहुत कठिन होगा।