मुंबई. (Mumbai) बाल विहार की संपादक स्वामिनी आराधनानंद (Editor Swamini Aradhananand) ने अम्मा ने 22 मार्च को प्रातः 12.16 बजे मुंबई के सांदीपनी चिन्मयानंद आश्रम में अंतिम सांस ली। वे 59 वर्ष की थीं।
गौरतलब है कि मुंबई के पवई में स्थितिःसंदीपनी साधनालय में उन्होंने 1991-1993 बैच में वेदांत पाठ्यक्रम की शिक्षा ली। मई 1993 में ब्रह्मचर्य दीक्षा प्राप्त की, तब उन्हें ब्रह्मचारिणी विविदिशा चैतन्य नाम दिया गया। फरवरी 2012 में उन्होंने पूज्य गुरुजी स्वामी तेजोमयानंद से संन्यास दीक्षा प्राप्त की और स्वामिनी आराधनानंद बन गईं।
चिन्मया मिशन के प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि उनका स्वभाव बच्चों-सा सरल रहा। उन्होंने बताया कि मुंबई के पवई में सेंट्रल चिन्मय मिशन ट्रस्ट में स्वामिनी अम्मा के शानदार 30 साल का कार्यकाल उल्लेखनीय योगदानों से भरा रहा। बालविहार पत्रिका के संपादक के रूप में, स्वामिनी आराधनानंद ने अनवरत 30 साल बच्चों के लिए समृद्ध सामग्री तैयार करने में जुटी रहीं। प्रत्येक अंक, सावधानीपूर्वक तैयार किया।
उनके कुशल संपादन में पत्रिका चुटकुलों, पहेलियों, विशेष समारोहों, मनोरम कहानियों, विचारोत्तेजक लेखों और मनमोहक चित्रों से भरी रही। मिमिक्री में उनकी निपुणता खुशी और हंसी लाती थी, जबकि अंग्रेजी पर उनकी वाक्पटु पकड़ ने पत्रिका के पन्नों को अनुग्रह और आकर्षण से भर दिया था। भाषाई कौशल से परे, उनकी काव्य रचनाएं प्रेरणा और आश्चर्य की कहानियां बुनती हैं। चिन्मया मिशन थाणे के भारत मालिक ने कहा कि वे मां थीं, पर बेटी बन कर रहना उन्हें पसंद था। बच्चों-सी कोमल मां आजीवन कर्मयोग पर यकीन करतीं रहीं। अपने अंतिम दिनों में भी उन्होंने बाल विहार मैग्जीन का काम पूरा किया। वे संघर्ष और सकारात्मकता की मूर्ति थीं। उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने हमारे जीवन को आनंद से भर दिया।