मुंबई : (Mumbai) बदलापुर फर्जी पुलिस एनकाउंटर मामले में अब तक दोषी पुलिस वालों पर मामला दर्ज न किए जाने पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को नाराजगी जाहिर की है। इस मामले में सरकारी अधिवक्ता अमित देसाई की जिरह के बाद हाई कोर्ट ने आज अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
बदलापुर यौन उत्पीडन मामले के आरोपित अक्षय शिंदे की पुलिस के फर्जी एनकाउंटर में मौत मामले की सुनवाई आज हाई कोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की पीठ के समक्ष हो रही थी। कोर्ट ने सरकारी वकील से सवाल किया कि बदलापुर यौन उत्पीडऩ मामले के आरोपित की फर्जी मुठभेड़ में मौत के मामले में अभी तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई है। सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि सरकार मामले की जांच कर रही है। इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया है।
इस मामले में आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज कर ली गई है और सीआईडी इसकी जांच कर रही है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या सिर्फ एडीआर के आधार पर जांच हो सकती है, एफआईआर कहां है? क्या एडीआर स्वयं एक एफआईआर है? प्रारंभ में तो एडीआर दर्ज की जाती है, लेकिन जब यह स्पष्ट हो जाता है कि यह आकस्मिक या प्राकृतिक मृत्यु नहीं बल्कि हत्या थी, तो क्या एफआईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने पूछा कि जांच पूरी होने के बाद सीआईडी क्या करेगी। इस पर देसाई ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद सीआईडी निर्धारित नियमों के अनुसार अंतिम रिपोर्ट दाखिल करेगी। यह समापन रिपोर्ट या अभियोजन रिपोर्ट (आरोप पत्र) भी हो सकती है। इसके बाद हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
उल्लेखनीय है कि 12 अगस्त 2024 को मुंबई से सटे बदलापुर में दो लड़कियों के साथ यौन उत्पीडऩ मामले में मुख्य आरोपित अक्षय शिंदे को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया, लेकिन 23 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अक्षय शिंदे के पुलिस एनकाउंटर की जांच करवाने की मांग की थी। पिछले सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने तथ्यों को देखते हुए एनकाउंटर में शामिल पुलिस वालों पर मामला दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन पुलिस ने अभी तक एनकाउंटर करने वाले पुलिस वालों पर मामला दर्ज नहीं किया है।
हालांकि, पुलिस ने एनकाउंटर के बाद नियमों के अनुसार मामले की मजिस्ट्रेट जांच कराई, जिसकी रिपोर्ट बॉम्बे हाई कोर्ट को सौंपी गई। रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट ने आरोपित के पिता के फर्जी मुठभेड़ के आरोप से सहमति जताई है तथा पुलिस के आत्मरक्षा के दावे पर संदेह जताया है। रिपोर्ट में अक्षय शिंदे की मौत के लिए पांच पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।