मुंबई : (Mumbai) वसई-विरार नगर निगम (Vasai-Virar Municipal Corporation) (VVCMC) के आयुक्त अनिल कुमार पवार के शासकीय आवास समेत कुल 12 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम मंगलवार सुबह छह बजे से छापेमारी कर रही है। बताया जा रहा है कि यह छापेमारी नालासोपारा में 41 अनधिकृत इमारतों के मामले से संबंधित है। ईडी की ओर से इस छापेमारी का अधिकृत ब्योरा नहीं दिया गया है।
सूत्रों ने बताया है कि ईडी की टीम मंगलवार सुबह छह बजे वसई-विरार नगर निगम के आयुक्त के आवास पर पहुंची और यहां कागज पत्र, कंप्यूटर आदि की तलाशी ले रही है। इसी मामले में मई महीने में ईडी की टीम ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत मुंबई और हैदराबाद में 13 अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था। तलाशी अभियान में लगभग 9.04 करोड़ रुपये नकद, 23.25 करोड़ रुपये मूल्य के हीरे जड़ित आभूषण, सोना-चांदी और बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए थे। इसके बाद ईडी ने मीरा भयंदर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा बिल्डरों, स्थानीय गुर्गों और अन्य के खिलाफ दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। यह मामला 2009 से “वीवीसीएमसी” के अधिकार क्षेत्र में “सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय सह वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण” से संबंधित है।
वसई विरार शहर (Vasai Virar city) की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, “सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट” और “डंपिंग ग्राउंड” के लिए आरक्षित भूमि पर कुछ समय में 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया। आरोपित बिल्डरों और डेवलपर्स ने ऐसी जमीन पर अवैध इमारतों का निर्माण करके और बाद में अनुमोदन दस्तावेजों में हेराफेरी करके उन्हें (आम जनता को) बेचकर आम जनता को धोखा दिया है। यह पूर्व जानकारी होने के बावजूद कि ये इमारतें अनधिकृत थीं और अंतत: ध्वस्त कर दी जाएंगी, डेवलपर्स ने इन इमारतों में कमरे बेचकर लोगों को गुमराह किया, जिससे गंभीर धोखाधड़ी हुई। इसके बाद इन अनधिकृत इमारतों के विरुद्ध बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) का दरवाजा खटखटाया गया था। जिससे उच्च न्यायालय ने 8 जुलाई, 2024 के अपने आदेश के जरिए सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
इसके बाद, 41 अवैध इमारतों में रहने वाले परिवारों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक एसएलपी दायर की गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद सभी 41 इमारतों को वीवीसीएमसी द्वारा 20 फरवरी को ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद ईडी ने मामले की जांच शुरु की और जांच से पता चला कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण 2009 से चल रहा है। यह पाया गया है कि वसई विरार नगर निगम (Vasai Virar Municipal Corporation) के अधिकार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर घोटाले के प्रमुख आरोपित सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता (Sitaram Gupta, Arun Gupta) और अन्य हैं। इसके अलावा, जांच के दौरान यह पाया गया है कि इन अनधिकृत/अवैध इमारतों का निर्माण विभिन्न वीवीएमसी अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था।