इधर पूरा भारत मीडिया के फैलाई सनसनी में डूबा हुआ है… फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कितने दिन जेल में रहना होगा..! लोग दो भाग में बंट गए हैं, एक जो सहानुभूति से एक पिता का दर्द समझ रहे हैं, और दूसरे जो कह रहे हैं जैसा करेगा वैसा भरेगा। अब सवाल यह उठता है कि शाहरुख खान (या जिनके बच्चे जेल में हैं, उनके) के सामने वास्तविक समस्या क्या है..! ड्रग्स लेते हुए पकड़े जाना या ड्रग्स लेना… अगर उनकी समस्या जेल जाना है, तो बड़ी समस्या नहीं है, जितनी बड़ी वकीलों की फौज है, सप्ताह, 10 दिन में वह बाहर आ जाएगा। और जहां तक सूत्र बताते हैं, तो जेल में भी उन बच्चों का अच्छा ख्याल ही रखा जा रहा है। जेल में रह कर भी वे फाइव स्टार की रोटी ही तोड़ रहे हैं। हो सकता है कि रोटी की जगह वे कुछ और अधुनिक भोजन ले रहे हों, यह हमारा विषय नहीं है। इसे व्यंग्य तो कतई न माना जाए, क्योंकि हम इसे सब्जेक्ट नहीं मान रहे। हमारी चिंताएं और हमारा विषय सिर्फ यही है और होना भी चाहिए कि आखिर वह बच्चा ड्रग्स चपेट में क्यों आया और कैसे…
जब भी कोई युवक ड्रग्स की चपेट में आता है, तो पूरा परिवार तबाही की कगार पर होता है। हर किसी का जीवन नर्क से बदतर हो उठता है। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमें बच्चों को इसकी चपेट में आने से रोकने का प्रयास करना चाहिए, न कि उसके गिरफ्तार होने के बाद उसे बचाने का प्रयास… मीडिया इस गंभीर विषय को छूने की बजाए सनसनी फैलाकर लोगों को पल-पल की सूचनाएं दे रहा है। मीडिया के धुरंधर यह खोजने में जुटे हुए हैं कि आर्यन ने क्या खाया, वह कहां सोया, उसे किसी से बात करने दी गई या नहीं… वगैरह… वगैरह! अब हमारा विषय यह होना चाहिए कि हम कितने लाचार हैं, जो ड्रग्स के सौदागरों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं। कुछेक को पकड़ा गया है, पर बहुत से आराम से बेच रहे हैं। हम (सिर्फ एनसीबी नहीं, मीडिया, प्रशासन और समाज भी) ड्रग्स को बिकने से रोकने में अक्षम हैं। एक बड़े स्टार के लाडले को दबोचने के लिए एनसीबी बधाई की पात्र है… क्योंकि किसी बड़े व्यक्ति के बिगडैल लाड़ले को पकड़कर कुछ दिनों तक पिजरे में रखना भी कम बहादुरी का काम नहीं है। पर यह कतई समस्या का हल नहीं है।
समस्या है ड्रग्स का व्यापार, कहा जाता है कि नाइजीरियायी लोग इस व्यापार में पाए जाते हैं। बहुत बड़े पैमाने पर वे ड्रग्स के साथ पकड़े भी जाते हैं। पर हमारे बीच से ही कोई वकील साहब उसे जमानत पर छुड़ाकर फिर से ड्रग्स बेचने को प्रेरित करते हैं । यह अलग बात है कि संभव है कि ड्रग्स के पैसे की कमाई से वकील साहब का बेटा-बेटी भी ड्रग्स ही खरीदने लगे… पर उनका काम है, लोगों को छुड़ाना वे कानून की कमजोरियों का लाभ उठाकर छूट जाते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जैसे ही कोई नाइजीरियायी नागरिक भारत पहुंचता है, तो सबसे पहले पासपोर्ट फाड़कर फेंक देता है, उसके बाद अगर वह कहीं पकड़ा जाता है तो उसे डीपोर्ट नहीं किया जा सकता… इसी तरह के दांवपेच खेलकर वह मार्केट में बना रहता है। सवाल यह है कि क्या सरकार कुछ ऐसा ठोस नहीं कर सकती है…!
अब सवाल फिर वहीं आकर खड़ा होगा कि आखिर शाहरुख या किसी अन्य पिता की समस्या क्या है..! बेटे का पकड़ा जाना या ड्रग्स लेना..! एक दिन में तो यह हुआ नहीं कि बच्चा गया और ड्रग्स छुआ और एनसीबी ने उसे गिरफ्तार कर लिया… सच यह है कि बच्चा ड्रग्स लेता रहा है इस बार वह पकड़ा गया… अब सवाल यह उठता है कि शाहरुख क्या कर रहे थे जब बच्चा ड्रग्स की चपेट में आया। उनका जवाब होगा कि काम कर रहा था… दूसरा सवाल है काम..! कैसा काम..! क्या आप समाज को बेहतर करने में कोई भूमिका निभा रहे थे..! नहीं आप लोगों का मनोरंजन करते हुए बहुत पैसा और बहुत नाम कमा रहे थे, आपको लग रहा है कि पैसा सबसे महत्वपूर्ण है, इससे कुछ भी पाया जा सकता है… पर वास्तव में पैसा और शोहरत किसी काम का नहीं… जब अपने बच्चे को सही दिशा नहीं दिखा सके, तो आपने जीवन में कुछ नहीं कमाया… किसी भी इंसान की असल कमाई उसके बच्चे होते हैं, न कि दौलत… बजाए बच्चे को समय देने के शाहरूख ने एक इंटरव्यू में कहा कि मैंने जो नहीं किया वह सब मेरा बेटा करेगा। खुले आम यह बातें कर शाहरुख अपने बच्चे को यह कह रहे हैं, जो चाहो करो… इसलिए असल दोषी शाहरुख या हर वह पिता है जो यह कहता है कि जो चाहो करो… 10 में से 8 वही बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं, जिनके परिवार वाले बच्चे को देने वाले समय में कहीं और व्यस्त हैं…
सेलेब्रिटी के अलावा भी मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे बड़े पैमाने पर ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं। उसका कारण स्पष्ट है माता-पिता अपनी जिंदगी तलाशने में पैसे कमाने में इतने व्यस्त हैं कि वे अपनी व्यस्तता की भरपाई पैसे देकर करते हैं। ऐसे में पैसा लेकर जब युवक बाजार में पहुंचता है तो ड्रग्स उसे अपनी ओर खींचता है। वर्तमान में हमारे देश और समाज के सामने सबसे बड़ी समस्या है एक बच्चे को ठीक से पालना, आइए थोड़ा ठहर कर सोचें कि कैसे हम इस समस्या को हरा सकते हैं…