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MUMBAI : विशाल कोविड-19 केंद्रों की स्थापना में ‘घोटाले’ के आरोप को बीएमसी ने खारिज किया

मुंबई : बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने कहा है कि विशाल कोविड-19 केंद्रों की स्थापना में 100 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप ”निराधार” है, क्योंकि मुंबई में ऐसे दो सुविधा केंद्रों पर श्रमशक्ति उपलब्ध कराने पर केवल 33.13 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। साथ ही, अस्पताल प्रबंधन सेवा कंपनी के साथ अनुबंध के लिए किया गया करार और संबंधित स्टांप पेपर नकली है या नहीं, इस बारे में सत्यापन का काम स्टाम्प विभाग के पंजीकरण और नियंत्रक से जुड़ा है और बीएमसी इसके दायरे में नहीं आता है। बीएमसी प्रमुख इकबाल सिंह चहल ने शनिवार को एक बयान में कहा कि इसलिए इस संबंध में नगर निगम प्रशासन पर आरोप लगाना पूरी तरह से गलत है। बयान में कहा गया है कि स्टाम्प पेपर और भागीदारी करार के अंतिम पृष्ठ पर उल्लेखित अलग-अलग तारीखों के मुद्दे पर, ठेकेदार ने बीएमसी की एक जांच समिति के समक्ष कहा कि यह एक ‘अनजाने में टाइपिंग की त्रुटि’ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता किरीट सोमैया ने देश के सबसे धनी नगर निकाय द्वारा कोविड-19 केंद्र स्थापित करने में कथित अनियमितता का आरोप लगाया था। बीएमसी फिलहाल एक प्रशासक के अधीन है, क्योंकि इसके निर्वाचित प्रतिनिधियों का पांच साल का कार्यकाल पिछले साल की शुरुआत में समाप्त हो गया था और नये सिरे से चुनाव होना बाकी है। चहल ने 16 जनवरी को महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं के ठेके देने में कथित अनियमितताओं के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था और बाद में कहा था कि महाराष्ट्र सरकार के आदेश पर विशाल कोविड-19 देखभाल केंद्र स्थापित किए गए थे। चहल ने कहा, ‘केंद्र और राज्य सरकारों के निर्देशों के अनुसार, बीएमसी ने 2020 से 2022 तक महामारी के प्रसार को रोकने और लाखों लोगों के जीवन को कोविड संक्रमण से बचाने के लिए विस्तृत उपाय किए थे।’ इस संबंध में बीएमसी द्वारा कोविड-19 केंद्रों के लिए श्रमशक्ति की आपूर्ति से संबंधित ठेके में 100 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है। चहल ने कहा, ‘हालांकि, आरोप सही नहीं हैं और इनमें कोई दम नहीं है।’बीएमसी द्वारा नियुक्त एक जांच समिति ने ठेकेदार को पूछताछ के लिए और आरोप के खिलाफ तथ्यों की व्याख्या करने के लिए बुलाया था। समिति ने जांच के दौरान पेश किये गये सहायक साक्ष्यों के साथ-साथ आवश्यक मुद्दों पर प्राप्त कानूनी राय और ठेकेदार द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर उचित विचार करने के बाद रिपोर्ट सौंप दी है। इसलिए, यह रिपोर्ट व्यक्तिगत राय को प्रतिबिंबित नहीं करती है।

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