
यूनान के महान दार्शनिक सुकरात एक दिन अपने शिष्यों के साथ घर के सोमने बैठे किसी दार्शनिक चर्चा में संलग्न थे। इतने में किसी काम के लिए उनकी बीवी ने उन्हें आवाज दी। बातचीत में वह इस कदर मशगुल थे कि अपनी पत्नी की आवाज की ओर उनका ध्यान ही न गया। कई बार बुलाने पर भी जब वह न उठे तो उनकी पत्नी ने मारे क्रोध के ऊपर से एक घड़ा पानी उनके ऊपर डाल दिया।
उनकी बीवी का यह आचरण उनके शिष्यों को भला न लगा। सुकरात ने सहज ही अपने शिष्यों की प्रतिक्रिया भांप ली और शांत स्वर में बोले, “मेरी पत्नी कितनी उदार है जो उसने इस भयंकर गर्मी में मेरे ऊपर पानी डालकर मुझे शीतलता प्रदान करने की कृपा की है।”
शिष्यों की अपने गुरु के प्रति निष्ठा इस घटना के बाद और भी बढ़ गयी।