
महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरू गोपाल कृष्ण गोखले ने देशसेवा के उद्देश्य से भारत सेवक समाज’ (सर्वेण्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी ) नामक संस्था की स्थापना की थी। इस संस्था का सदस्य बनाने के लिए गोखले व्यक्ति की कड़ी परीक्षा लेते।
एक बार जब मुंबई म्युनिसिपालिटी के एक इंजीनियर ने इस संस्था का सदस्य बनने के लिए डॉ. देव के द्वारा गोखले को अपनी इच्छा बतायी। गोखले ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि इंजीनियर महोदय देशसेवा करना चाहते हैं, तो पहले नौकरी से त्यागपत्र दें, तब उनकी सदस्यता के बारे में विचार किया जा सकता है। (असल में, इंजीनियर महोदय की मन्शा थी कि यदि सदस्यता की स्वीकृति मिल जाए, तो वे नौकरी छोड़ें) ।
गोखले की बात इंजीनियर महोदय को हिला न सकी, बल्कि उल्टा ही हुआ। उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। और आखिर उन्हें संस्था का सदस्य बना लिया गया। यह इंजीनियर कोई और नहीं, बल्कि वह युवक था, जो आगे चलकर ‘ठक्कर बापा’ के नाम से जाना गया। ‘सेवा’ में लेन-देन को नहीं बल्कि पूर्ण समर्पण की नीति कार्य करती