motivational story : नरेंद्र अब तू विदेश में जा सकता है

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स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा की तैयारी कर रहे थे। इससे ठीक पहले अलवर के महाराजा ने अपने बेटे के जन्मदिन पर उन्हें आमंत्रित किया। स्वामीजी अलवर गए। वहां कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। तभी उन्हें ख्याल आया कि मां शारदा से विदेश जाने की अनुमति तो ली ही नहीं। मां की अनुमति के बगैर यह काम कैसे होगा?

यह विचार आते ही विवेकानंद सारे काम छोड़कर तुरंत जयराम वाटी (बंगाल) पहुंचे। वहां उनकी मां शारदा सब्जी साफ कर रही थीं। स्वामीजी मां के पास पहुंचे और कहा, ‘मां विदेश जा रहा हूं। गुरुदेव का संदेश पूरी दुनिया में फैलाऊंगा।’ इस पर मां शारदा ने कहा, अच्छा जाओ, लेकिन वो वहां पड़ा चाकू मुझे दे जाओ। विवेकानंद ने चाकू उठाया और धार वाला हिस्सा खुद पकड़ते हुए हत्थे वाला हिस्सा मां की ओर बढ़ा दिया हैं।

मां शारदा बेटे की सूझबूझ से प्रसन्न हो गईं और चाकू लेती हुईं बोलीं, ‘नरेंद्र अब तू जरूर विदेश में जा सकता है, क्योंकि तेरी सोच ऐसी है कि तू कठिनाइयां स्वयं झेलता है और दूसरों के भले की सोचता है। ऐसी सोच रखने वाले का कार्य ईश्वर सफल करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि तू परमहंस देव का संदेश दुनिया में फैलाने में सफल होगा।’ इसके बाद मां शारदा का आशीर्वाद लेकर विवेकानंद विदेश गए और भारत के ज्ञान को दुनिया में फैलाते हुए दुनिया को प्रेम और बंधुत्व का संदेश दिया।