motivational story : बदलती परिस्थिति

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मार्ग में चलते-चलते बुद्ध थक गए थे। वे एक पेड़ के नीचे बैठ गए और अपने शिष्य आनंद से बोले, ‘वत्स, सामने वाले झरने से पानी ले आओ।’ आनंद जब वहां पहुंचे तो उसी समय एक बैलगाड़ी पानी में से होकर निकली। पानी गंदला हो गया। ऐसा गंदला पानी देखकर उन्होंने कहीं और से पानी ले जाना उचित समझा। अतः आनंद बुद्ध को बताकर पानी की खोज में कहीं और भटकने के बाद दोबारा वहां पहुंचे तो गंदला पानी बह चुका थ। आनंद ने प्रसन्नतापूर्वक कमंडल भरा और पानी ले लाए।

तथागत ने कहा, ‘आनंद प्रकृति को देखो, परिस्थिति को नहीं। परिस्थिति बदल जाती है, किन्तु प्रकृति स्थिर रहती है। वह गंदला जल जल्दी ही स्वच्छ हो गया। इसी तरह मनुष्य भी हमेशा वही नहीं रहता। वह भी बदलता है। यही सनातन नियम है।