motivational story : सच्चा मददगार

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श्रीरामकृष्ण परमहंस के शिष्य नाग महाशय को एक बार भोजेश्वर जाना था। उनके एक मित्र पाल ने उनके रास्ते के खर्च के लिए आठ रुपए तथा ठंड से बचने के लिए एक कम्बल दिया।

टिकट लेने के लिए नाग महाशय जब टिकटघर के सामने लगी पंक्ति में खड़े हुए, तब वहां एक भिखारिन आयी और उनके सामने खड़े एक सेठ से बोली “सेठजी! मेरे बच्चे कई दिनों से भूखे हैं। तन ढकने के लिए कपड़े भी नहीं है। देखिए, यह बच्चा ठण्ड के मारे कैसा ठिठुर रहा है। सहायता करें, भगवान् आपका भला करेगा।”

मगर सेठ का तो उसओर ध्यान ही नहीं था। नाग महाशय ने जो सुना, तो तुरन्त वह आठ रुपया तथा कम्बल उस भिखारिन को दे दिया और स्वयं कलकत्ता की ओर पैदल ही चल पड़े। रास्ते में खर्च के लिए उन्होंने यात्रियों का सामान ढोकर, रात को चौकीदारी करके तथा रोगियों का उपचार कर पैसा एकत्रित किया, तब कहीं वे अपने गन्तव्य स्थान को उनतीस दिनों बाद पहुंच सके।