प्रेरक प्रसंग: विश्वास कभी न तोड़ें

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ब्रह्मपुर के पास एक गांव में मुन्ना सिंह बादशाह रहते थे। वे जो कहते थे, करते थे। थे तो गृहस्थ, लेकिन व्यवहार साधु की तरह था। फकीर का जीवन जीते थे। साधु सन्यासियों की सेवा करने में उन्हें गहरी दिल्चस्पी थी। वे संगीत के भी प्रेमी थे। उनकी दृष्टि में कोई बुरा नहीं था।

एक बार रानीसागर गांव की एक वेश्या ने उन्हें संगीत और भजन सुनने के लिए आमन्त्रित किया। उन्होंने हां कह दी, लेकिन तभी वर्षा इतनी हुई कि बाढ़ आ गई। जाने का मार्ग जलप्लावित हो गया। लोगों ने कहा- ‘बादशाह जी, छोड़िए एक वेश्या के यहां कहां जाइएगा? जाने का कोई मार्ग शेष नहीं। यदि नहीं भी जाइएगा तो क्या होगा? वेश्याएं ऐसी ही होती हैं, उनके लिए आप चिंतित क्यों हैं।’

मुन्ना सिंह बादशाह ने किसी की नहीं सुनी और सारा कपड़ा एक हाथ लिए लंगोटा पहन पानी में कूद पड़े और उचित समय पर उस वेश्या के यहां पहुंच गए।

एक वेश्या के वचनों के प्रति भी इतने कृत संकल्प वे साधु थे। न तो उन्होंने लोकापवाद की कोई परवाह की और न तनिक अपने व्यक्तिगत कष्ट की।