motivation story : मृत्यु और आदर्श

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कहते हैं अपने प्राणों पर आ जाने पर अच्छे अच्छे चरित्र बदल देते हैं, पर दुनिया में ऐसे भी लोग हुए हैं, जिन्होंने आदर्शों के लिए प्राण त्याग दिए। यह घटना सुकरात को मृत्यु दंड के बाद की है। शिष्यों ने उन्हें बचाने की योजना बनाई और जनके पास पहुंचे और कहा…

“आप तैयार हो जाएं हमने यहां से चलने की सारी व्यवस्था कर ली है”, शिष्यों ने निवेदन किया। सुबह सुकरात को दंडस्वरूप विषपान करना था। “तो हम कहां चलेंगे?” सुकरात ने प्रश्न किया । “इस देश को छोड़ देंगे, “एक शिष्य ने अधीर हो कहा।

“दूसरे देश में जा कर या तो हमें अपने देश के शासक की निंदा करनी होगी कि वह अन्यायी है, या फिर यह मानना होगा कि मैं गलत हं। और मैं यह दोनों ही स्वीकार नहीं करता, न देश का अपमान, ना ही कि मैं गलत हूं।”

शिष्य हार गये। सुकरात ने मुस्कुराते हुए सुबह विषपान किया। मृत्यु सच्चे व्यक्ति को आदशों से नहीं हटा पाती।।