Mirzapur : आस्था की बही रसधार, विंध्यवासिनी के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

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जयकारे से गूंजा विंध्यधाम, त्रिकोण परिक्रमा कर की मंगलकामना

मीरजापुर : शारदीय नवरात्र के सप्तमी पर शनिवार को विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासनी धाम जयकारे से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी के कालरात्रि स्वरूप का दर्शन-पूजन किया और त्रिकोण परिक्रमा भी की।

गंगा घाटों पर स्नान-ध्यान के बाद श्रद्धालुओं का कारवां विंध्यवासिनी मंदिर की ओर कूच कर रहा था। भोर तक गर्भगृह की ओर जाने वाले मार्ग पर लंबी कतारें लग गईं।

मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर का कपाट खुला, मां विध्यवासिनी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु उमड़े पड़े। कुछ ही देर में गर्भगृह भक्तों से पट गया। मंदिर के दोनों प्रवेश द्वार एवं झांकी पर दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लग गई। भक्त नारियल-चुनरी प्रसाद लेकर मंदिर की तरफ जयकारे के साथ बढ़ते रहे और मां की आराधना में लीन दिखे। मध्य रात्रि के बाद गंगा स्नान कर भक्त सीधे मां के दरबार में मत्था टेकने पहुंच गए। इन सभी ने न सिर्फ माता विंध्यवासिनी के मंदिर में माथा टेका बल्कि यहां त्रिकोण परिक्रमा भी की। आसमान से निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे लगाए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। वहीं गंगा घाटों पर भी एसडीआरएफ की टीम लगाई गई है।

श्रद्धा के उद्घोष से गंगा की लहरों में जोश

श्रद्धालुओं ने मां विंध्यवासिनी के जयकारों से इतना उद्घोष किया कि गंगा की लहरों में भी जोश आ गया। दर्शन-पूजन के पूर्व श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। सप्तमी की पूर्व संध्या से ही आस्थाधाम में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा था। भोर तक समूचा मेला क्षेत्र भक्तों से पट गया।

पत्थरों को जोड़कर भक्त बना रहे घरौंदा

मान्यता है कि विंध्य पर्वत के त्रिकोण पथ पर पत्थरों को जोड़कर घरौंदा बनाने से अपना आशियाना होने का सपना साकार होता है। जितने तल का मकान बनाया जाता है, उतने तल का मकान बनवाने का सपना भक्त का माता रानी पूरा करती हैं। ऐसे में इन दिनों लोग पत्थरों को जोड़-जोड़कर घरौंदा बना रहे हैं।

महानिशा पर बड़ी संख्या में जुटे तंत्र साधक

नवरात्र के सप्तमी तिथि पर महानिशा की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का जमावड़ा रहा। विंध्यधाम में वाममार्गी और दक्षिणमार्गी दोनों साधकों ने अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना की। शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ी स्थित भैरव कुंड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किया। ऐसी मान्यता है कि विध्यधाम में तंत्र साधना करने वाले साधक को अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है।