Home Agriculture Mirzapur : गाजर घास से जैव विविधता को खतरा, किसानों को किया जागरूक

Mirzapur : गाजर घास से जैव विविधता को खतरा, किसानों को किया जागरूक

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Mirzapur : गाजर घास से जैव विविधता को खतरा, किसानों को किया जागरूक

मीरजापुर : काशी हिंदू विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र, बरकछा में गाजर घास पर सात दिवसीय जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केंद्र अध्यक्ष प्रो. श्रीराम सिंह ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ भारतरत्न महामना मदनमोहन मालवीय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की।

उन्होंने कहा कि गाजर घास मानव, पशुओं और फसलों के लिए बेहद नुकसानदायक है। मौजूदा समय में देश के 35 मिलियन हेक्टेयर पर इसका कब्जा है। इससे बचने के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करना जरूरी है।

वैज्ञानिकों ने गाजर घास की पहचान, इससे होने वाले फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दी। वक्ताओं ने कहा कि गाजर घास मानव समाज में एलर्जी, दमा, अस्थमा, एक्जिमा, श्वांसरोग का जनक है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि गाजर घास जैविक आतंकवादी की तरह कार्य करती है। इसे समूल नष्ट किया जाना अपरिहार्य है। पशुओं में पेट की बीमारियां, अपच, अफरा आदि बीमारियां भी पैदा करता है। फसलों में उगने पर 35 से 60 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित करती है। इस प्रकार गाजर घास हमारे पूरी जैव विविधता के लिए ख़तरा है। इससे निजात पाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।