मेरठ:(Meerut): बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में पूजा करने आती थी दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी) मेरठ के ऐतिहासिक बाबा बिल्वेश्वर नाथ मंदिर का जुड़ाव रामायण काल से है। इस मंदिर में दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा करने के लिए आती थी। मेरठ (ancient name Mayrashtra) को मंदोदरी के पिता मय दानव की नगरी माना जाता है। इस मंदिर में मंदोदरी को भगवान शिव ने दर्शन दिए थे।
मेरठ शहर के सदर क्षेत्र में स्थित बाबा बिल्वेश्वर नाथ के वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार मराठों ने किया था। कभी यहां पर बिल्व वृक्षों का जंगल था, जंगल के बीच में स्थित मंदिर को बिल्वेश्वर नाथ मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है मराठा शैली में निर्मित इस मंदिर की बहुत मान्यता है। श्रावण मास में भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।
मेरठ शहर में था मय दानव का खेड़ा
मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र था। मंदोदरी के पिता मय दानव की नगरी होने के कारण इसे मयराष्ट्र कहा जाता था। इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन बताते हैं कि वर्तमान में कोतवाली थाने के टीले पर मय दानव का खेड़ा था। इस खेड़े (टीले) पर ही मय दानव का महल था। इस महल से ही मंदोदरी बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने जाया करती थी। इस मंदिर में ही भगवान शिव ने मंदोदरी को दर्शन दिए थे और मंदोदरी ने भगवान शिव से दुनिया के सबसे शक्तिशाली और विद्वान व्यक्ति को पति रूप में पाने की कामना की थी। भगवान के आशीर्वाद से ही मंदोदरी का विवाह लंकापति रावण से हुआ था।
बिल्वेश्वर नाथ मंदिर में नित्य आने वाले भक्त और भारत तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय मान बताते हैं कि भगवान शिव की महिला निराली है। बाबा अपने भक्तों की प्रत्येक मनोकामना पूरी करते हैं। जो भक्त सच्ची निष्ठा के साथ मंदिर में भोले बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं, भोले बाबा बिन मांगे भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।
श्रावण मास में लगता है विशेष मेला
बिल्वेश्वर नाथ मंदिर के पुजारी हरिश्चंद्र जोशी बताते हैं कि श्रावण मास में मंदिर में विशेष मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु गंगाजल से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। इसके अलावा मंदिर में रुद्राभिषेक विशेष रूप से किया जाता है। श्रावण मास में मंदिर में पूजा करने के लिए आने वालों में कुंवारी लड़कियों की संख्या अधिक होती है। मंदिर में 40 दिन तक दीपक जलाने से मनोकामना पूरी होती है।
बद्रीनाथ जैसा है मंदिर का मुख्य द्वार
बिल्वेश्वर नाथ महादेव मंदिर का मुख्य द्वार चार धामों में से एक बद्रीनाम धाम जैसा है। मंदिर के अंदर द्वार छोटे हैं, जिनमें झुककर ही प्रवेश किया जा सकता है। अंदर लगे पीतल के घंटे भी खास तरह की ध्वनि उत्पन्न करते हैं। मंदिर परिसर में एक कुआं स्थित है। मान्यता है कि इस कुएं से ही जल निकाल कर मंदोदरी शिवलिंग पर चढ़ाती थी। मंदिर में स्थापित शिवलिंग धातु का बना है।
सती सरोवर था आज का भैंसाली मैदान
बताया जाता है कि बिल्वेश्वर नाथ मंदिर के पास स्थित भैंसाली मैदान कभी सती सरोवर था। इस सरोवर में नित्य स्नान करने के बाद ही मंदोदरी बिल्वेश्वरनाथ महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाती थीं।