एआईएमआईएम उम्मीदवार के उतरने से चुनावी मुकाबला हुआ रोमांचक
11 मई को मतपेटियों में बंद हो जाएगा नगर निकाय उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला
मऊ: (Mau) जिले में नगर निकाय चुनाव 11 मई को होने हैं। जिसके लिए प्रशासन पूरी तरीके से मुस्तैद है। जिले में एक नगर पालिका परिषद सहित 10 नगर पंचायत हैं। नगर पालिका परिषद मऊ में 54 राजस्व गांव जुड़ जाने के कारण इस बार 45 वार्ड हैं। इस बार यहां बदले परिसीमन ने पार्टी उम्मीदवारों की जीत का गणित बिगाड़ दिया है। बढ़े मतदाताओं के चलते अब यहां की पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा ने जीत का दावा किया है। वहीं इस सीट पर राज करते आ रहे सपा और बसपा दलों उम्मीदवारों के बीच कड़ा संघर्ष देखा जा रहा है। इन तीनों दलों के उम्मीदवारों के बीच ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ने जीत का मुकाबला दिलचस्प कर दिया है।
सभी पार्टियों के अपने-अपने दावे
नगर निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। कोई भी पार्टी किसी भी तरीके की कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती। यही वजह है कि मऊ नगर पालिका परिषद का चुनाव इस बार दिलचस्प हो गया है। पालिका अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अजय कुमार मैदान में हैं जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) से आबिद अख्तर जोर आजमाइश कर रहे हैं। वही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अरशद जमाल पर दांव खेला है। कांग्रेस पार्टी ने विष्णु कुशवाहा पर भरोसा जताया है तो वहीं ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने मुनव्वर अली को अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
दो दशकों से रहा है सपा और बसपा का कब्जा
नगर पालिका परिषद मऊ की बात करें तो पिछले दो दशकों से यहां पर सपा और बसपा का ही कब्जा रहा है। सन् 2000 में सपा से अरशद जमाल ने चेयरमैन पद पर जीत हासिल की थी, जबकि 2006 में तय्यब पालकी ने बसपा से ही इस पद पर अपना परचम लहराया था। 2012 में महिला सीट हो जाने के कारण अरशद जमाल ने अपनी पत्नी को सपा से मैदान में उतारा और जीत हासिल की, जबकि 2017 से लेकर अब तक बसपा के तय्यब पालकी इस पद पर बने हुए हैं।
परिसीमन बदलने से बदल सकते हैं समीकरण
इस बार समीकरण कुछ अलग ही है। नगर पालिका परिषद में 54 नए राजस्व गांव जुड़ जाने के कारण परिसीमन बदल गया है और वोटर भी बढ़ गए हैं। 2017 में जहां लगभग 2,18,629 वोटर थे। वही 2023 में वोटर बढ़कर लगभग 2,95,564 के आसपास पहुंच गए हैं। यही कारण है कि इस बार नगर पालिका परिषद मऊ का चुनाव काफी रोमांचक नजर आ रहा है। इस सीट को जीतने की सभी पार्टियां अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रही हैं।
1953 में नगर पंचायत से बना नगर पालिका परिषद
सन् 1953 में मऊ नगर पालिका अस्तित्व में आया। उस समय यह आजमगढ़ जिले का हिस्सा था। बाद में 1989 में आजमगढ़ से कटकर मऊ जिले के रूप में मऊ नगर पालिका का विस्तार हुआ। अब फिर नगर निकाय चुनाव 2023 में नगर पालिका परिषद मऊ का विस्तार करते हुए 42 वार्ड से बढ़ाकर इसे 45 वार्ड कर दिया गया है। इसके अलावा जिले में नगर पंचायत की 10 सीटें हैं, जिनमें अदरी, कोपागंज, कुरथीजाफरपुर, घोसी, अमिला, दोहरी घाट, मोहम्मदाबाद, वलीदपुर, चिरैयाकोट और मधुबन नगर पंचायत शामिल हैं।
बढ़ चुकी हैं मतदाताओं की संख्या
मऊ नगर पालिका परिषद समेत जिले की कुल 10 नगर पंचायत के मतदाताओं की बात करें, तो जहां 2017 में 3,81,171 मतदाता थे वह 2023 में अब 5,23,052 मतदाता हो चुके हैं। जबकि आरक्षण की स्थिति में नौ सीट महिला, दो अनुसूचित जाति महिला, चार पिछड़ा वर्ग महिला, चार अनुसूचित जाति, आठपिछड़ा वर्ग और 18 सीट अनारक्षित हैं।
माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता है मऊ नगर
जिले के मऊ नगर को माफिया मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता रहा है। यही वजह है कि यहां पर नगर पालिका परिषद के चुनाव में कहीं ना कहीं उसका प्रभाव भी दिखता है। 2017 के चुनाव में बसपा के उम्मीदवार तय्यब पालकी ने जीत हासिल की थी। कहा जाता है कि मतदाताओं पर उस समय के तत्कालीन विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी का खासा प्रभाव था। हालांकि अब हालात काफी हद तक बदल चुके हैं। मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों पर प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है और खुद माफिया मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने सजा दे दी है। जिससे अब 2023 के नगर निकाय चुनाव में मुख्तार समर्थकों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
नगर पालिका परिषद में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री का गांव भी शामिल
गौरतलब है कि इस बार नगर पालिका परिषद में उत्तर प्रदेश के नगर विकास और ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का गांव भी शामिल किया गया है जिसके बाद से उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। एके शर्मा लगातार जिले में जमे हुए हैं और दिन-रात एक किए हैं। भाजपा भी इस बार बढ़े हुए वोटर्स को लेकर काफी उत्साहित है और उसे इस बार जीत की खासी उम्मीद नजर आ रही है।
भाजपा की बड़ी उम्मीद, इतिहास बनाने का दावा
उल्लेखनीय है कि पिछले दो दशकों से नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर लगातार मुस्लिम समुदाय का ही कब्जा रहा है, लेकिन इस बार भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है। परिसीमन बदलने और नए 54 राजस्व गांव जोड़ने के कारण भाजपा भी अपनी दावेदारी ठोक रही है। भाजपा को इस बार इतिहास बनाने की पूरी उम्मीद है। फिलहाल यह तो आने वाला 13 मई ही बताएगा की मऊ नगर पालिका की जनता अध्यक्ष पद पर किसे चुनकर भेजती है।