मंदसौर : होली के त्योहार के बाद शीतला सप्तमी और बास्योड़ा पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बर हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथि घट बढ होने के कारण यह पर्व दो दिन मनाया जा रहा है। रविवार को महिलाओं ने शीतला माता की पूजन कर माता को ठंडे खाद्य पदार्थ का नैवेद्य अर्पित किया। अब सोमवार को भी यह पर्व मनाया जायेगा। माता की पूजन के साथ ही महिलाओं ने परिवार की खुशहाली के साथ बच्चों को बीमारियों से बचाने की माता रानी से प्रार्थना की है।
घरों में एक दिन पूर्व तैयार होता है भोजन
घरों में एक दिन पहले मीठे चावल, पूरी, परांठे, सब्जी, सूजी का हलवा और अन्य माता रानी को प्रिय भोजन तैयार किया जाता है। जिसमें बरे,पकौड़ी भी शामिल है। इस भोजन को लेकर महिलाएं थाली में सजाकर ठंडे जल के साथ मन्दिर जाती है। जिसमें सबसे पहले शीतला माता की विभिन्न प्रतिमाओं पर ठंडा जल चढ़ाया जाता है और उसके बाद बासी भोजन परोसा जाता है।
इस दौरान माता रानी की महिलाएं समूह में बैठकर पूजा कर कथा भी सुनती है। इसके बाद अपने घरों में बासी भोजन को प्रेम पूर्वक खाया जाता है। पूजा के पीछे एक उद्देश्य यह भी रहता है की छोटी माता यानी मीजल्स,मम्स,रूबेला यानी चेचक जो बीमारी है वह नहीं हो और माता का आशीर्वाद परिवार पर बना रहे। वहीं बासी खाना खाने का यह अंतिम दिन होता है यहां ऋतु परिवर्तन माना जाता है अर्थात् रात्रि का भोजन नहीं करना चाहिए।
4 अप्रैल को होगा दच्छा पूजन
प्रतिवषार्नुसार इस वर्ष भी चैत्र विदी दच्छा पूजन 4 अप्रैल 2024, गुरूवार को प्रात: 6 बजे से शाम 6 बजे तक कालका माता रोड़ महादेव चबुतरा पर तथा ब्रह्ममेश्वर घाट पशुपतिनाथ मंदिर के पास एवं गौतम विहार कॉलोनी गौतमेश्वर महादेव मंदिर पर पीपल पूजन एवं नल राजा दमयन्ती रानी की कथा सुनाई जावेगी। तथा 10 तार 10 गठन का डोरा भी दिया जायेगा जो घर की दशा को सुधारने के लिये रहेगा। माताओं-बहनों के लिये बैठने की व्यवस्था रहेगी। कथा वाचन पंडित श्रीधर व्यास सुनाऐंगे।