
महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों को धर्म का उपदेश देने के लिए नगर के विभिन्न क्षेत्रों में भेजा। एक शिष्य को रास्ते में एक भिखारी बैठा मिला। वह उसे धर्म का उपदेश देने लगा। किंतु भिखारी उसकी बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।
वह शीघ्र महात्मा बुद्ध के पास गया और बोला— ‘भगवन! मुझे रास्ते में एक भिखारी मिला। मैं उसे धर्म का उपदेश देता रहा, लेकिन उसने मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया।’
बुद्ध गंभीर स्वर में बोले— ‘उस भिखारी को मेरे पास लेकर आओ।’
भिखारी को लाया गया। उसकी दयनीय स्थिति देखकर बुद्ध समझ गए कि यह कई दिनों से भूखा है। अत: उन्होंने उसे भरपेट भोजन कराया और कहा— ‘अब जाओ।’
फिर शिष्य से बोले— ‘आज उसके लिए भोजन ही उपदेश था, आज उसे भोजन की ही सबसे अधिक आवश्यकता थी। यदि जीवित रहा, तो कल वह उपदेश अच्छी तरह सुनेगा।’