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Mahakumbh Nagar : 5 हजार शंखध्वनि के महासुर में बही सनातन संस्कृति की दिव्यता, भक्तिभाव में झूम उठीं संगम की लहरें

महाकुम्भ नगर : ( Mahakumbh Nagar)वसुधैव कुटुम्बकम की लौ प्रकाशित कर रहा दुनिया का सबसे बड़ा महाकुम्भ मंगलवार को सांझ बेला में विश्व शांति के लिए जब एक साथ 15 हजार शंखध्वनि से गूंज उठा तो वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया, संगम की लहरें भक्तिभाव में झूम उठीं और पूरी सनातनी दुनिया अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गई।

महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर-8 में श्रीजीयर स्वामीजी महाराज के दिव्य मंगलानुशासन में संचालित शिविर में अन्तरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन के अवसर पर मंगलवार को 15 हजार मातृशक्तियां, बटुकों एवं श्रद्धालुओं ने एक साथ शंखनाद किया, इस ध्वनि से पूरा संगम क्षेत्र गूंज उठा। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि सनातन परंपरा का विश्व स्तरीय प्रदर्शन, जिसने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर दिया। हजारों संतों, श्रद्धालुओं और भक्तों की उपस्थिति में श्रीत्रिदण्डी स्वामीजी महाराज सेवा शिविर बक्सर बिहार के इस महायज्ञ ने एक नई आध्यात्मिक चेतना को जन्म दिया। शंखों की गूंज सिर्फ प्रयागराज तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह सनातन धर्म की अमिट धरोहर बनकर पूरे विश्व में गूंजी। गंगा तट पर गूंजती शंखध्वनि ने मानो सनातन धर्म की दिव्यता और शक्ति का भव्य प्रदर्शन किया। 144 वर्षों बाद आई शुभ घड़ी में इस महासंयोग ने इतिहास रच दिया।

धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व स्वामी श्रीजियर जी महाराज ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से विशेष बातचीत में बताया कि शंखनाद को सनातन धर्म में सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस आयोजन के माध्यम से सनातन परंपरा का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पुनः स्थापित हुआ। शंखध्वनि से वातावरण की शुद्धि होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। वैज्ञानिक रूप से शंख बजाने से फेफड़ों की शक्ति बढ़ती है और शरीर में ऑक्सीजन संचार बेहतर होता है। यह दिव्य शंखनाद सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को विश्व पटल पर उजागर करने का माध्यम बनेगा।

उन्होंने बताया कि भाष्याकार श्री रामानुज स्वामी जी की सहस्त्राब्दी जयंती पर 15 हजार भक्तों ने एक साथ शंखनाद किया। इस मौके पर भारत के सभी राज्यों से काफी संख्या में संत-महात्मा एवं पीठाधीश्वर जुटे हुए थे। दक्षिण भारत से आए संतों ने कहा कि जो काम रामानुज स्वामी हजारों वर्ष पहले दक्षिण भारत में किए थे, वहीं कार्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज उत्तर भारत में कर रहे हैं।

श्रद्धालुओं में उत्साह, संतों ने दिया आशीर्वाद इस दिव्य आयोजन में शामिल होकर श्रद्धालुओं ने इसे एक अद्भुत और अलौकिक अनुभव बताया। पूज्य संतों ने भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि यह आयोजन सनातन धर्म की अखंडता और भारतीय संस्कृति की महानता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि धर्म के बिना मानव जीवन संभव नहीं है, धर्म रहेगा तभी हम रहेंगे। धर्म, राष्ट्र और संस्कृति के लिए आत्मा है, बिना आत्मा का शरीर मृत हो जाता है, उसी प्रकार बिना धर्म का कोई भी संस्कृति मृत हो जाती है।

विश्व इतिहास में अमिट छाप15 हजार शंखों की गूंज के साथ प्रयागराज में हुए इस कार्यक्रम में न केवल महाकुम्भ 2025 को ऐतिहासिक बनाया, बल्कि यह पूरे विश्व में सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का संदेश भी दे गया। यह सनातन धर्म की अद्वितीय परम्पराओं और आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है। भक्तों ने इस ऐतिहासिक क्षण को अपनी आंखों से देखने और सुनने का सौभाग्य प्राप्त किया, जो कई पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।

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