लखनऊ : (Lucknow) निवेशक से कमीशन में फंसे आईएएस अभिषेक प्रकाश (Sixteen administrative officers including IAS Abhishek Prakash) सहित सोलह प्रशासनिक अधिकारियों को डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले में दोषी पाया गया है। डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले की जांच पूरी कर राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डाक्टर रजनीश दुबे ने वर्ष 2024 के अगस्त माह में शासन को रिर्पोट सौंप दिया था। घोटाले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच रिर्पोट पर स्वीकृति देते हुए कार्रवाई के निर्देश दे दिये है।
डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले मामले की जांच रिपोर्ट में आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश, तत्कालीन एडीएम (प्रशासन) अमरपाल सिंह, एसडीएम संतोष कुमार सिंह, एसडीएम शंभू शरण सिंह, एसडीएम आनंद कुमार सिंह, एसडीएम देवेंद्र कुमार (सभी तत्कालीन), सभी तत्कालीन तहसीलदार विजय कुमार सिंह, तहसीलदार ज्ञानेंद्र सिंह, तहसीलदार उमेश कुमार सिंह, तहसीलदार मनीष त्रिपाठी, तत्कालीन नायब तहसीलदार कविता ठाकुर, सभी तत्कालीन लेखपाल हरीश चन्द्र, लेखपाल ज्ञान प्रकाश, सभी तत्कालीन कानूनगो राधेश्याम, कानूनगो जितेंद्र सिंह तथा कानूनगो नैंसी शुक्ला के नाम दर्ज है।
डिफेंस कॉरिडोर मामले की जांच रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन तलाशी जा रही थी। तभी भूमाफिया और अधिकारियों ने मिली भगत से लखनऊ के सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत की भूमि अधिग्रहण कराया। इसमें भूमाफिया और अधिकारियों की सांठगांठ से सात से नौ लाख रुपये तक की जमीनें खरीदी गयी और इसे 54 लाख रुपयों में बेच दिया गया।
राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डाक्टर रजनीश दुबे ने जांच में जमीनों के 90 पट्टा फर्जी मिले और इसमें ग्यारह लोगों के नाम पट्टा में दर्ज नहीं पाये गये। इसी तरह सांठगांठ में पैतींस वर्षो पुराना पट्टा दिखा कर संक्रमणीय भूमिधर जमीन घोषित कराया गया। बता दें कि यूपी में निवेशक से पांच प्रतिशत कमीशन मांगने के मामले में फंसे आईएएस अभिषेक प्रकाश के लिए अब और भी मुश्किलें बढ़ चुकी है। माना जा रहा है कि दोनों ही मामले में आरोपित आईएएस अभिषेक पर जल्द ही बड़ी कार्रवाई होगी।