उपभोक्ता परिषद ने लगाया आरोप, खामियाजा भुगत रहे उपभोक्ता
लखनऊ:(Lucknow) पूरे उत्तर प्रदेश में आज भी 12 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो 2-जी या 3-जी तकनीक पर आधारित है। उन्हें प्रदेश की बिजली कंपनियां एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड से 4-जी तकनीक में कन्वर्ट नहीं करा पाईं। आज उसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता भुगत रहे हैं। कहीं नेटवर्क नहीं मिलता तो कहीं बकाये पर भुगतान किए जाने के बाद घंटों बिजली कनेक्शन नहीं जुड़ता। इसके बावजूद बिजली कंपनियां एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर पाईं।
वर्तमान में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पूरे प्रदेश में निकाले गए हैं, उसमें भी दरों को लेकर काफी पेच फंसा हुआ है। सब मिलाकर उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर एक बड़ी अनियमितता की तरफ बढ़ रहा है। पावर कारपोरेशन का मानना है कि पहले जो चार क्लस्टर में टेंडर निकाले गए थे, दरें अधिक होने की वजह से उसे स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अब भी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में जो टेंडर 8415 प्रति मीटर में दिया गया है, उसकी दरें बहुत अधिक हैं। इसकी वजह से अन्य बिजली कंपनियों में जहां दरें कम आई हैं। उन पर बिजली कंपनियां कोई निर्णय नहीं कर पा रही हैं। सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि प्रदेश में जो 25000 करोड़ की लागत के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर किए जा रहे हैं। वह 4-जी तकनीक का जब तक लगना शुरू होगा तब तक 5-जी शुरू हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि विगत दिनों पावर कारपोरेशन की तरफ से जो जवाब उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया गया है, उसमें लिखा गया है कि जो उत्तर प्रदेश में 12 लाख 2-जी व 3-जी स्मार्ट मीटर लगे हैं। जहां-जहां दिक्कत आ रही है उन्हें फ्री आफ कॉस्ट 4-जी में कन्वर्ट कराया जाएगा। वर्तमान में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड कहीं भी 4-जी स्मार्ट मीटर नहीं बदल रही है।