बौद्ध सर्किट में हर साल हजारों की संख्या में आते हैं बौद्ध पर्यटक
कुशीनगर : बांग्लादेश की अथॉरिटी भारतीय बौद्ध सर्किट के तीर्थस्थलों पर दर्शन पूजन के लिए आने वाले बौद्ध पर्यटकों के लिए टूरिस्ट वीजा नहीं जारी कर रही है। इसके कारण हर साल नवंबर व दिसंबर माह में आने वाले बांग्लादेश के बौद्ध पर्यटकों का दल अबकी कुशीनगर नहीं आ रहा है। वीजा न मिलने के कारण पर्यटकों ने यात्रा स्थगित कर प्री बुकिंग रद्द करानी शुरू कर दी है। बांग्लादेश के पर्यटक मुख्य रूप से गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया, उपदेश स्थल सारनाथ और जन्मस्थल लुम्बिनी की यात्रा करते हैं।
बांग्लादेश स्थित चटगांव के शिबली तीर्थ तरंगा टूर कंपनी के ग्रुप लीडर ने कुशीनगर के बिरला धर्मशाला को 19 व 20 नवंबर के लिए बुक कराया था। बांग्लादेश से आने वाला 150 सदस्यों का यह सबसे बड़ा ग्रुप है। ग्रुप लीडर उदयन बरुआ ने धर्मशाला प्रबंधक वीरेंद्र नाथ त्रिपाठी को मेल भेजकर बुकिंग निरस्त करने की जानकारी दी है और इसका कारण बांग्लादेश के संबंधित प्राधिकरण द्वारा भारतीय टूरिस्ट वीजा जारी नहीं करना बताया है।
प्रबंधक ने बताया कि यह ग्रुप लगभग 20 वर्षों से प्रतिवर्ष आता था और भारत के सभी बौद्ध तीर्थ स्थलों का भ्रमण करता था। प्रबंधक ने बताया कि इससे पर्यटन व्यवसाय प्रभावित होगा। इस संबंध में क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि इस संबंध में वस्तुस्थिति पता कर भारत सरकार को अवगत कराया जायेगा।
बांग्लादेश में हैं दस लाख बौद्ध
कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर ने बताया कि बांग्लादेश में लगभग दस लाख लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जो थेरवाद शाखा से आते हैं। थेरवाद बौद्ध धर्म की प्राचीन शाखा है। इसकी आधी से अधिक आबादी चटगांव क्षेत्र में केंद्रित है। वहां ये राखीन, चकमा, मर्मा, तनचंग्या, जुम्मा, बरुआ और विश्वास उप नाम लिखते हैं। शेष बंगाली बौद्ध हैं।