Kolkata : पश्चिम बंगाल में डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी, ढाई हजार के पार पहुंची संख्या

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कोलकाता : (Kolkata) पश्चिम बंगाल में डेंगू संक्रमण (dengue infection) की रफ्तार मानसून के साथ तेज हो गई है। राज्य में अब तक डेंगू के लगभग ढाई हजार मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से हजार के करीब मामले पिछले एक महीने में दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से जून तक कुल 1,500 मामलों की तुलना में जुलाई में मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है।

राज्य के 16 जिलों में डेंगू का संक्रमण देखा जा रहा है, जिनमें दक्षिण बंगाल के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। मुर्शिदाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है, जहां एक जनवरी से 20 जुलाई के बीच 367 मामले सामने आए हैं। इसके बाद उत्तर 24 परगना (356), हुगली (265), हावड़ा (241), मालदा (233) और कोलकाता (176) का स्थान है। हावड़ा पहले शीर्ष पर था लेकिन अब चौथे स्थान पर आ गया है। हालांकि, कोलकाता के नगर स्वास्थ्य अधिकारी (health officer of Kolkata) का दावा है कि इसे लेकर कोई ढील नहीं बरती जा रही है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मानसूनी बारिश के बाद लगातार हो रही सूखी और नम अवधि एडीज एजिप्टी मच्छरों के पनपने (growth of Aedes aegypti mosquitoes) के लिए अनुकूल वातावरण बना रही है। यही मच्छर डेंगू वायरस (dengue virus) का मुख्य वाहक होता है। रुक-रुक कर हो रही बारिश और जलजमाव ने मच्छरों के लार्वा विकसित होने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर दी हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहा संक्रमण, नियंत्रण व्यवस्था कमजोरडेंगू अब केवल शहरी समस्या नहीं रही। कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) के दौरान शुरू हुई यह प्रवृत्ति अब भी जारी है और डेंगू लगातार ग्रामीण इलाकों में भी फैल रहा है। ग्रामीण पंचायत क्षेत्रों में मच्छर नियंत्रण की व्यवस्था शहरी निकायों की तुलना में कमजोर है, जिससे वायरस को गांवों में पांव पसारने का मौका मिल रहा है।मानसून की उमस भरी और नम स्थिति ने बुखार, खांसी और सर्दी जैसी वायरल बीमारियों को भी बढ़ावा दिया है।

सरकार ने दिए सख्त निर्देश, जिला प्रशासन अलर्टराज्य के स्वास्थ्य विभाग (state health department) ने सभी जिलों के प्रशासन, शहरी निकायों और ग्रामीण पंचायतों को अलर्ट पर रखा है। जलनिकासी सुनिश्चित करने, जलजमाव रोकने, मच्छर लार्वा के लिए स्थिर जल की नियमित जांच करने और जरूरत के मुताबिक लार्वीसाइड के छिड़काव के निर्देश दिए गए हैं।