कानपुर : हवाओं की दिशाएं बदलने से गुरुवार का अचानक तापमान बढ़ गया जो सामान्य से अधिक रहा। मौसम विभाग का कहना है कि फरवरी माह में बराबर उतार चढ़ाव बने रहने की संभावना है। इसके साथ ही रबी की फसलों को जिस तापमान की आवश्यकता होती है उससे अधिक रहने के आसार हैं। ऐसे में रबी की फसलों का उत्पादन गिर सकता है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने गुरुवार को बताया कि 1901 के बाद से सबसे शुष्क और सबसे ठंडी जनवरी के विपरीत, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) अब फरवरी के अधिक गीले और गर्म होने की भविष्यवाणी कर रहा है। फरवरी के लिए पूर्वानुमानित सामान्य से अधिक तापमान का मुख्य रबी फसल, गेहूं पर प्रभाव पड़ सकता है। फूल आने की अवस्था के दौरान गेहूं गर्म जलवायु के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है, क्योंकि इसमें रस के निर्माण और आकार देने के लिए सामान्य ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है।
जनवरी के अपने विश्लेषण में आईएमडी ने इसे 1901 के बाद से चौथा सबसे ठंडा और नौवां सबसे शुष्क महीना घोषित किया। लंबे समय तक कोहरे और निचले बादलों की स्थिति ने शीत लहर की तीव्रता को कम कर दिया था। 1901 के बाद से सबसे शुष्क और सबसे ठंडी जनवरी के विपरीत, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) अब फरवरी के अधिक गीले और गर्म होने की भविष्यवाणी कर रहा है।
फरवरी के लिए पूर्वानुमानित सामान्य से अधिक तापमान का मुख्य रबी फसल, गेहूं पर प्रभाव पड़ सकता है। फूल आने की अवस्था के दौरान गेहूं गर्म जलवायु के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होता है, क्योंकि इसमें रस के निर्माण और आकार देने के लिए सामान्य ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है।
जनवरी के अपने विश्लेषण में आईएमडी ने इसे 1901 के बाद से चौथा सबसे ठंडा और नौवां सबसे शुष्क महीना घोषित किया। लंबे समय तक कोहरे और निचले बादलों की स्थिति ने शीत लहर की तीव्रता को कम कर दिया था।