जींद : नवरात्र के प्रथम दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने मां शैलपुत्री की पूजा कर मन्नतें मांगी। उधर, देवभूमि बनभौरी के भ्रामरी धाम में पहले नवरात्र में सबसे पहले कंजकों का पूजन किया गया। पूरे मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया। साल में दो बार नवरात्र में मंदिर परिसर में मनोकामना पूर्ति के लिए देश के कौने-कौने से श्रद्धालु पहुंचते है। यहां पर छठ के दिन मेला लगता है।
इस बार छठ का मेला 20 अक्टूबर को है। पं. रामनिवास कौशिक, कपिल कौशिक द्वारा कंजकों को पूजन नवरात्र के पहले दिन किया। मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी न हो इसको लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए है। मंदिर पुजारी श्याम कौशिक, सतबीर कौशिक, रामनिवास कौशिक, शिव कुमार कौशिक, सुरेंद्र कौशिक ने बताया कि श्रद्धालु एक दिन की बजाए पूरे नवरात्र पूजा-अर्चना के लिए मंदिर आए। जो महत्व छठ का है वो हर रोज पूजा-अर्चना का होता है। साल में दोबार नवरात्र आते है। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से माता भ्रामरी की पूजा-अर्चना करने पर मनोकामना को माता पूरी करती है। नवरात्र में भीड़ अधिक होने पर प्रशासन के साथ-साथ जो विभिन्न संगठनों के सदस्य है वो भी यहां पर ड्यूटी देकर व्यवस्था को बेहतर बनाते है।
मंदिर में पहले नवरात्र से लेकर अष्टमी तक पूजा-अर्चना माता की श्रद्धालु करते है। नवरात्र में मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत भी रखते है। पहले नवरात्र से श्रद्धालु पैदल, वाहनों में ज्योत भी माता की घर पर लेकर जाते है। बनभौरी धाम तक श्रद्धालु पैदल भी आते है। मंदिर परिसर के बाहर खेल-खिलौने बेचने वालों ने अपने स्टॉल भी लगाए हुए थे। माता की लाल चुनरी, पूजा सामग्री सामान की खरीद बाजारों में श्रद्धालु कर रहे थे।