गृहमंत्री अनिल विज ने जताया दुख
दो बार विधायक रहे नफे सिंह राठी
झज्जर : इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या के मामले की जांच एसटीएफ करेगी। मामले की जांच के लिए पांच अन्य टीमों का भी गठन किया गया है। राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने पुलिस को जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राठी उनके साथ विधायक रहे, उनकी मौत से उन्हें गहरा दुख हुआ है।
नफे सिंह राठी केवल बहादुरगढ़ ही नहीं प्रदेश के कद्दावर नेता माने जाते थे। उन्होंने चौ. देवीलाल के साथ भी काम किया। वह इंडियन नेशनल लोकदल के संगठन में सबसे मजबूत नेताओं में शामिल थे। वह दो बार के विधायक थे। उसके अलावा बहादुरगढ़ नगर परिषद के दो बार के चैयरमैन भी रहे थे।
वह ऑल इंडियन स्टाइल रेसलिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे हैं। नफे सिंह राठी के जाने से चौटाला परिवार को बहुत गहरा आघात पहुंचा है, क्योंकि वह उनके सबसे विश्वास पात्रों में से थे। उन्होंने राजनीति 1990 में आरंभ की। सबसे पहले नगर पालिका बहादुरगढ़ के पार्षद रहे। इसके बाद चेयरमैन रहे। वह 1996 से 2005 तक लगातार विधायक रहे। उन्होंने रोहतक से लोकसभा चुनाव में हाथ आजमाया था, लेकिन जीत नहीं सके थे। दुष्यंत चौटाला ने जब आईएनएलडी को तोड़कर जेजेपी बनाई थी, तब भी उन्होंने अभय चौटाला व ओपी चौटाला का साथ नहीं छोड़ा था।
उन्होंने दुष्यंत पर जमकर हमला बोला था। नफे सिंह के एक पुत्र और एक पुत्रवधु नगर परिषद बहादुरगढ़ में पार्षद हैं। अपने भतीजे की कपूर राठी की पत्नी मोनिका को उन्होंने नगर परिषद अध्यक्ष का बीता चुनाव लड़वाया था।
राठी का विवादों से भी नाता रहा। वर्तमान में बहादुरगढ़ नगर परिषद की अध्यक्ष सरोज राठी के परिवार का उनके साथ कई साल से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। पूर्व मंत्री स्वर्गीय मांगेराम नंबरदार के पुत्र जगदीश नंबरदार खुदकुशी केस में उनके परिवार ने इन पर आरोप लगाया था। लेकिन सबूतों के अभाव में जिला न्यायालय ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी थी।
नफे सिंह राठी ने कई माह पहले खुद की जान को खतरा बताते हुए कड़ी पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया था कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं। हत्या के मामले की जांच के लिए एसपी अर्पित जैन ने सीआईए-1 और 2, एसटीएफ, साइबर टीम, जीआरपी व आरपीएफ अलग-अलग टीमों का गठन किया है।