Jerusalem : ट्रंप की नीति पश्चिमी तट इजराइल में विलय को स्वीकार नहीं करतीः जेडी वेंस

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यरूशलम : (Jerusalem) अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (US Vice President J.D. Vance) ने इजराइल की संसद कनेसेट द्वारा पश्चिमी तट के विलय संबंधी प्रस्ताव को सख्त शब्दों में खारिज करते हुए इसे “मूर्खतापूर्ण राजनीतिक स्टंट” (“foolish political stunt”) और “अपमानजनक कदम” बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति पश्चिमी तट के इजराइल में विलय के खिलाफ है और अमेरिका ऐसी किसी भी कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेगा।

तेल अवीव अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (Tel Aviv International Airport) पर प्रस्थान से पहले संवाददाताओं से बातचीत में वेंस ने कहा, “अगर यह एक राजनीतिक स्टंट था, तो यह बेहद मूर्खतापूर्ण था और मैं इसे व्यक्तिगत रूप से अपमानजनक मानता हूं। पश्चिमी तट का इजराइल में विलय नहीं होगा। ट्रंप प्रशासन की नीति स्पष्ट है और यह कायम रहेगी।”

उनका यह बयान कनेसेट में उस विधेयक को प्रारंभिक मंजूरी मिलने के एक दिन बाद आया है, जिसके तहत पश्चिमी तट पर इजराइली कानून लागू करने का प्रस्ताव रखा गया था। यह भूमि फिलिस्तीनियों के लिए भावी राज्य का अहम हिस्सा मानी जाती है। 120 सदस्यीय संसद में यह विधेयक 25-24 मतों से पारित हुआ, लेकिन इसे पूर्ण रूप से कानून बनने के लिए तीन और चरणों की मंजूरी आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी (Prime Minister Benjamin Netanyahu’s Likud party) ने इसका विरोध किया, जबकि कुछ दक्षिणपंथी सांसदों ने समर्थन किया।

वेंस का इजराइल दौरा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की उस शांति योजना को आगे बढ़ाने के लिए था, जो गाजा युद्ध को समाप्त कर इजराइल-हमास के बीच युद्धविराम को स्थिर बनाए रखने पर केंद्रित है। इसी क्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी चेतावनी दी कि पश्चिमी तट के विलय की कोशिशें शांति प्रक्रिया को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका इस कदम का समर्थन नहीं करेगा, क्योंकि यह शांति समझौते के लिए खतरा है।”

ट्रंप ने इससे पहले सितंबर में ही कहा था कि अमेरिका इजराइल को पश्चिमी तट के विलय की अनुमति नहीं देगा। यह नीति अब्राहम समझौतों की नींव से जुड़ी है, जिनके तहत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे कई अरब देशों ने इजराइल के साथ संबंध सामान्य किए थे। यूएई ने भी चेतावनी दी है कि विलय की कोशिशें इन समझौतों के लिए “खतरे का संकेत” होंगी।

इधर, फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कनेसेट के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि इजराइल का फिलिस्तीनी भूमि पर संप्रभुता का दावा अवैध है। वहीं हमास ने इसे “उपनिवेशवादी कब्जे का कुरूप चेहरा” करार दिया।

गौरतलब है कि पश्चिमी तट में वर्तमान में करीब तीन लाख फिलिस्तीनी और सात लाख से अधिक इजराइली बस्तियां मौजूद हैं, जो पश्चिम एशिया में स्थायी शांति के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं।