Jammu : उच्च न्यायालय का आदेश- जेकेबोस द्वारा निर्धारित पुस्तकें ही जेकेबोस से संबंद्ध स्कूलों में उपयोग की जायेंगी

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जम्मू : नीजि स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ आंदोलन चला रहे डोगरा वेलफेयर संगठन के अध्यक्ष अमित कपूर ने जम्मू व कश्मीर उच्च न्यायालय के उस आदेश को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया है जिसमें कहा गया है कि जेकेबोस द्वारा निर्धारित सभी पुस्तकें ही जेकेबोस से संबंद्ध स्कूलों में उपयोग की जायेगी। उन्होंने कहा कि नया चेयरमैन बनने के बाद एफएफआरसी पंगु होकर रह गया है इसलिए इसके चेयरमैन को तत्काल से हटाया जाना चाहिए।

जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सोमवार को अमित कपूर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जेकेएफएफआरसी माता-पिता की आखिरी उम्मीद थी और अप्रैल 2023 से, जेकेएफएफआरसी नियमों के अनुसार उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है जिसके कई उदाहरण ओएसिस स्कूल आदि हैं। उन्होंने कहा कि एफएफआरसी निजी स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त आदेश जारी नहीं कर रहा है, इसलिए ऐसा लगता है कि एफएफआरसी के अधिकारी भी निजी स्कूलों के साथ मिले हुए हैं।

अमित कपूर ने कहा कि माता-पिता को एफएफआरसी’ में शिकायत करने से हतोत्साहित किया जाता है और अप्रैल 2023 से एफएफआरसी को उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए अभिभावकों को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकांश स्कूल एफएफआरसी को फर्जी दस्तावेज जमा करके फर्जी वार्षिक शुल्क वसूल रहे हैं। लेकिन एफएफआरसी के अधिकारी आंखे बंद करके यह सब देख रहे हैं।

कपूर ने कहा कि एफएफआरसी और स्कूल शिक्षा निदेशालय जम्मू एवं कश्मीर स्कूल शिक्षा अधिनियम, एफएफआरसी नियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम या बाल अधिकार अधिनियम के अनुसार निजी स्कूल नियमों के उल्लंघनकर्ताओं को दंडित करने में सक्षम नहीं हैं। इसके साथ ही निजी स्कूल एफएफआरसी के बस शुल्क आदेशों का उल्लंघन करना जारी रखे हुए हैं और ऐसे मामलों में एफएफआरसी या निदेशक स्कूल शिक्षा द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करना केवल नीजि स्कूलों के साथ सांठगांठ साबित करता है।

कपूर ने कहा कि वार्षिक शुल्क आनुपातिक आधार पर (मासिक) भुगतान किया जाना है लेकिन गरीब माता-पिता से इसकी अग्रिम मांग की जा रही है। जो कि फिर से एफएफआरसी के आदेशों का उल्लंघन है और एफएफआरसी और स्कूल शिक्षा निदेशालय जम्मू एवं कश्मीर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके साथ ही मीडिया, समाचारों आदि में दैनिक आधार पर उल्लंघन के मामले प्रकाशित होने के बावजूद भी एफएफआरसी कोई संज्ञान नहीं ले रहा है और न ही स्कूलों को सख्त चेतावनी आदेश जारी कर रहा है।

अमित कपूर ने कहा कि एफएफआरसी 2022 के नियमों के अनुसार एफएफआरसी को स्कूलों का निरीक्षण करने का अधिकार है, लेकिन एफएफआरसी ने आज तक कितने स्कूलों के निरीक्षण किए हैं? बमुश्किल 10-15 में ही आप स्कूलों को उनकी फ़ाइलें क्लीयऱ करने के लिए परेशान करते हैं, जैसा कि उन्होंने जेकेएचसी के साथ किया है।

इसके साथ ही अमित कपूर ने कहा कि जिस तरीके से उन्होंने नीजि स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखा है उसी तरह से स्मार्ट मीटरों के खिलाफ भी अपना आंदोलन जारी रखेगें। कपूर ने कहा कि जिस तरीके से नीजि स्कूलों की मनमानियों का मुद्दा हर घर से जुड़ा हुआ मुद्दा है उसी तरह से स्मार्ट मीटरों का मुद्दा पूरे जम्मू व कश्मीर के घर-घर का मुद्दा है और जब तक स्मार्ट मीटरों को हटाया नहीं जाता उस समय तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।