Jaipur : वीजीयू में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए ‘सारांश’ का आयोजन

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जयपुर : विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय ‘सारांश’ अखिल भारतीय कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के क्रियान्वयन के मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है। इस अवसर पर एनईपी पर विचार-विमर्श करने के लिए पूरे भारत के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और नियामक निकायों के सदस्य शामिल हुए।

‘सारांश’ के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर डी.पी. सिंह, विशिष्ट अतिथि के रूप में निरमा विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर अनूप कुमार सिंह एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए. सी.पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में वीजीयू के अध्यक्ष व कुलपति प्रोफेसर विजय वीर सिंह ने स्वागत भाषण देते हुए। उन्होंने कहा कि भविष्य में शिक्षा हमारे लिए अर्थव्यवस्था हो सकती है। आज हमें ऐसे युवाओं की जरूरत है जो पूरी तरह से तैयार हों और इसके लिए शिक्षा नीति में बदलाव एक महत्वपूर्ण कदम है। आज विश्वविद्यालय रोजगार योग्य छात्रों का सृजन नहीं कर रहे हैं और नई शिक्षा नीति छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ रोजगार सृजन पर भी बल दे रही है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित अनूप कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि एनईपी अमेरिकी शिक्षा प्रणाली से बहुत कुछ ले रही है। अमेरिकी शिक्षा प्रणाली अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हैं और भारत की शिक्षा प्रणाली में ऐसी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। इस कारण से हमें अपने ज्ञान को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए नई शिक्षा नीति की ज़रुरत है ।

विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.सी.पांडेय ने कहा कि “तक्षशिला और नालंदा के समय से समग्र और बहु-विषयक शिक्षा की लंबी परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में समग्र व्यक्तित्व के विकास पर ध्यान दिया जाता था और इसी कारण से नई शिक्षा नीति का उद्देश्य यह है कि छात्रों में सर्वागीण विकास हो सके। डॉ. पांडेय ने शिक्षा के उस मॉडल को फिर से बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जहां जीवन के हर पहलू को सशक्त किया जाता है। उन्होंने बहुविषयक शिक्षा पर पर जोर देते हुए कहा कि इससे छात्रों की क्षमता में विकास होगा और वे लीक से हटकर सोच पाएंगे।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी एवं नेक ) के पूर्व चेयरमैन प्रो. डी.पी. सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल ज्ञान को प्राप्त करना नहीं है बल्कि आत्मज्ञान को प्राप्त करना है। और यदि हम अपने आत्मज्ञान को प्राप्त कर लिया तो भारत विश्व मे ज्ञान की महाशक्ति बन पाएगा। उन्होंने शिक्षा के समग्र परिप्रेक्ष्य की कल्पना करने में शिक्षार्थियों को मूल्य आधारित शिक्षा पर बल दिया। प्रोफेसर सिंह ने अपनी बात मल्टी एंट्री-एक्जिट प्रणाली के माध्यम से समग्र शिक्षा और लचीलेपन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए खत्म किया। वीजीयू आज भारत के अग्रणी बहु-विषयक निजी विश्वविद्यालयों में से एक है, जिसे सारांश’ के दौरान वीजीयू में संचालित हो रहे विविध विषयों के पाठ्यक्रम का नई शिक्षा नीति के अनुसार मूल्यांकन किया जाना है। वीजीयू के द्वारा नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए पिछले छह महीनों से तैयारी चल रही थी जो अब 27-28 मई को ‘सारांश’ के आयोजन के साथ पूर्ण हुई। वीजीयू नॉर्थ इंडिया का पहला विश्वविद्यालय है जो नए सत्र से नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन सही मायने में करने के लिए तैयार है। भारतीय संस्कृति हमेशा से ही शिक्षा और शिक्षक केंद्रित रही है, यहां एक साधारण शिक्षक भी चाणक्य के रूप में स्थापित होकर सामाजिक हित में व्यवस्था में हस्तक्षेप कर सकता है। इसलिए नई शिक्षा नीति में शिक्षकों पर ही जोर है।