जयपुर : (Jaipur) राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान स्टेट बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के बीच शराब खरीद के भुगतान से जुड़े मामले में कमर्शियल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें अदालत ने यूनाइटेड स्पिरिट्स पर 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए। कमर्शियल कोर्ट, द्वितीय ने 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए 20 लाख रुपये की राशि राज्य के समेकित कोष और 20 लाख रुपये रजिस्ट्रार जनरल के जरिए हाईकोर्ट के पक्षकार कल्याण कोष में जमा कराने को कहा था।
अपील में वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता और अधिवक्ता विजय चौधरी ने खंडपीठ को बताया कि कमर्शियल कोर्ट ने आर्बिट्रेटर एक्ट के प्रावधान के क्षेत्राधिकार के परे जाकर यह आदेश दिया है। अदालत ने जो तथ्य रिकॉर्ड पर ही नहीं थे, उसे लेकर आदेश दे दिए। वहीं धारा 34 में जुर्माने का प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में कमर्शियल कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कमर्शियल कोर्ट के आदेश पर जुर्माने की हद तक रोक लगा दी है। मामले में यूनाइटेड स्पिरिट्स ने आर्बिट्रेटर के समक्ष वाद दायर कर कहा कि आरएसबीसीएल ने शराब खरीद को लेकर उसके 9.11 करोड रुपए का भुगतान रोक लिया है। ऐसे में उसे यह राशि दिलाई जाए। आर्बिट्रेटर ने यूनाइटेड स्पिरिट्स के पक्ष में निर्णय देते हुए यह राशि लौटाने के आदेश देने के साथ ही आरएसबीसीएल पर दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इस आदेश को आरएसबीसीएल ने कमर्शियल कोर्ट में चुनौती देते हुए आरोप लगाया कि यूनाइटेड स्पिरिट्स ने सीमा शुल्क में कमी की जानकारी छुपाई और 13.61 करोड रुपये से अधिक का लाभ उठाया। कमर्शियल कोर्ट ने मामले में गत दिनों सुनवाई करते हुए आर्बिट्रेटर के अवार्ड पर रोक लगाते हुए यूनाइटेड स्पिरिट्स पर 40 लाख रुपए का हर्जाना लगाया था। इसके साथ ही अदालत ने मामले में शराब खरीद घोटाले की आशंका जताते हुए प्रकरण को मुख्य सचिव को भेजा था। अदालत ने कहा था कि मामले की सीएजी से विशेष ऑडिट कराई जाए और आवश्यकता होने पर सीबीआई या एंटी करप्शन ब्यूरो में एफआईआर दर्ज करवा कर जांच करवाई जाए।