जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने डीएलबी की उप निदेशक रेणु खंडेलवाल को 26 मई को अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि कोर्ट के आदेश की जानबूझकर अवमानना करने पर दंडित क्यों नहीं किया जाए। जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश रतन लाल की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया कि विभाग ने 15 जनवरी 2015 को दिए आदेश की पालना नहीं की है। वहीं विभाग के अधिवक्ता ने इस संबंध में विभागीय निर्देश लेने के लिए अदालत से समय मांगा। याचिका में अधिवक्ता मनोज पारीक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता चौमूं नगरपालिका में सफाई कर्मचारी के तौर पर कार्यरत था और उसने फायर में डिप्लोमा कर रखा है। नियमानुसार डिप्लोमाधारी और आठ साल का अनुभव रखने वाले कर्मचारी को फायरमैन नियुक्त किया जा सकता है। विभाग की ओर से याचिकाकर्ता को फायरमैन नहीं लगाने पर उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उसे फायरमैन पद पर नियमित करने को कहा था। अदालती आदेश पर उसे इस पद पर नियमित भी कर दिया गया। वहीं याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्त होने पर उसे पता चला कि उसे वापस सफाई कर्मचारी के पद पर पदावनत कर दिया गया है। इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पेश कर दोषी अधिकारियों को दंडित करने की गुहार की। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने डीएलबी की उप निदेशक को हाजिर होने के आदेश दिए हैं।