जयपुर : (Jaipur) सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) में किडनी फेल होने से डायलिसिस पर चल रही 50 वर्षीय की बेटी को 84 वर्षीय बुजुर्ग मां ने अपनी किडनी देकर उसे जीवन जान दिया है। काउंसलिंग और सभी जांचों के बाद मां की किडनी को बेटी के लिए फिट पाया गया। इसके बाद ट्रांसप्लांट किया गया,जो सफल रहा। ट्रांसप्लांट होने के महज दो घंटे के भीतर मां की किडनी बेटी के शरीर में काम भी करने लग गई। फिलहाल मां और बेटी स्वस्थ्य है।
सवाई मानसिंह अस्पताल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. नीरज अग्रवाल (Neeraj Agarwal) ने बताया कि यह देश में पहला केस है,जिसमें एक 84 वर्षीय बुजुर्ग मां की किडनी उसकी बेटी को ट्रांसप्लांट की गई है।
डॉ. नीरज अग्रवाल ने बताया कि 50 वर्षीय गुड्डी देवी पिछले कई महीनों से क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थी। उनकी जिंदगी केवल डायलिसिस पर टिकी थी। किडनी फेल होने के बाद उपयुक्त डोनर की तलाश की जा रही थी,लेकिन परिवार में कोई उपयुक्त डोनर नहीं मिला। इसके बाद भरतपुर में रहने वाली गुड्डी की मां बुधो देवी ने बेटी का जीवन बचाने की ठानी और किडनी दान करने की इच्छा जताई। बुजुर्ग मां बुधो देवी (डोनर) 84 वर्षीय की है। जिनका फैसला देखकर डॉक्टर्स की टीम हैरान रह गई। बुजुर्ग महिला की काउंसलिंग की गई और सभी जांचें की गई। गनीमत यह थी कि महिला के सभी ऑर्गन जांच में फिट पाए गए। इसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय किया और ट्रांसप्लांट ऑपरेशन सफल भी हुआ। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद बुधो देवी (डोनर) को यूरोलॉजी आईसीयू में रखा। डॉक्टर्स की निगरानी में उनकी स्थिति लगातार बेहतर होती रही। सिर्फ तीन दिन बाद ही बुजुर्ग मां को स्थिर स्थिति में हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी। वहीं रिसीवर बेटी का अभी नेफ्रोलॉजी ट्रांसप्लांट आईसीयू में इलाज जारी है। बेटी को लगाई गई किडनी ने अच्छा फंक्शन करना शुरू कर दिया है और किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज भी स्वस्थ है। इस ट्रांसप्लांट सर्जरी टीम में डॉ नीरज अग्रवाल के अलावा डॉ. धर्मेंद्र जांगिड़, डॉ. कुलदीप, डॉ. राजेश, डॉ. फैसल, डॉ. नवीन, डॉ. करण, डॉ. सार्थक, डॉ. राघव शामिल रहे। जबकि एनेस्थीसिया टीम में डॉ. वर्षा कोठारी, डॉ. अनुपमा गुप्ता और डॉ. सिद्धार्थ शामिल थे।