जयपुर : स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख की साइबर ठगी के मामले में चार दिन की रिमांड अवधि पूरी होने पर रविवार को चारों आरोपितों को न्यायिक अधिकारी के घर पेश किया। इनमें से दो को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया जबकि दो को एसओजी ने फिर से दो दिन के रिमांड पर लिया है।
एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि महिला मनोविज्ञानी से 43 लाख रुपये की ठगी के आरोपितों लेहरू लाल तेली, युवराज मीणा, किशन लाल प्रजापत और गोवर्धन रैगर की चार दिन की रिमांड अवधि पूरी होने पर रविवार को फिर पेश किया गया। इनमें से लेहरू लाल तेली और युवराज मीणा को फिर से दो दिन की रिमांड पर लिया गया है जबकि किशन लाल प्रजापत और गोवर्धन रैगर को न्यायिक अभिरक्षा (जेल) भेज दिया गया है। अब लेहरू लाल और युवराज से साइबर धोखाधड़ी, महिलाओं को ब्लैकमेल करने और ऑनलाइन गेमिंग को लेकर पूछताछ की जाएगी। वहीं साइबर ठगी का मास्टरमाइंड लेहरू लाल तेली सोशल मीडिया पर मैसेज कर महिलाओं को ब्लैकमेल भी करता था। एसओजी को लेहरू लाल और अलग-अलग महिलाओं के बीच हुई चैट की जानकारी उसके फोन की जांच में मिली है। ऐसे में अंदेशा है कि बड़े पैमाने पर वह महिलाओं को ब्लैकमेल करता था। फिलहाल एसओजी की टीम इन महिलाओं की पहचान कर रही है। लेहरू लाल और युवराज से पूछताछ में इस बारे में कुछ और खुलासे होने की संभावना है।
गौरतलब है कि जयपुर निवासी महिला डॉ. अंकिता सिंह ने चार अप्रैल को एसओजी के साइबर थाने में यू-ट्यूब पर वीडियो लाइक करने पर मोटी कमाई का झांसा देकर 43 लाख रुपये ठगने का मामला दर्ज करवाया था। उनसे 11 बैंक खातों में 43 लाख रुपये जमा करवाए गए थे। इन खातों और इनसे जुड़े मोबाइल नंबर की जांच जांच के आधार पर एसओजी साइबर थाने की टीम ने भीलवाड़ा के बेई निवासी युवराज मीणा, चित्तौड़गढ़ के आकोला निवासी लेहरू लाल तेली और चित्तौड़गढ़ के संगेसरा निवासी किशनलाल प्रजापत और गोवर्धन रैगर को गिरफ्तार किया था।