जबलपुर : (Jabalpur) मप्र में इन दिनों माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षाएं (board examinations of the Board of Secondary Education) चल रही हैं। शुक्रवार को कक्षा दसवीं की परीक्षा का संस्कृत विषय का पेपर हुआ। इस दौरान जबलपुर के एक स्कूल में दस मिनट देरी से आने पर 10वीं के आठ विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया। इसकी जानकारी लगते ही परिजन स्कूल पहुंच गए और जमकर हंगामा किया। मामले की जानकारी लगते ही मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि शासन के नियम अनुसार सुबह 8:45 बजे के बाद स्कूल के गेट नहीं खोले जाने थे, जबकि परिजनों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन ने सुबह 8:30 बजे ही गेट बंद कर दिए थे।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को सुबह जबलपुर के रांझी क्षेत्र में स्थित खालसा स्कूल में जब कक्षा दसवीं के छात्र संस्कृत का पेपर देने पहुंचे तो उनमें से आठ छात्रों को परीक्षा प्रबंधकों द्वारा पेपर देने नहीं दिया गया। परीक्षा नहीं देने की बात सुनकर एक छात्रा वहीं पर बेहोश हो गई। इसकी जानकारी लगते ही छात्रों के परिजन भी स्कूल पहुंच गए और हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इस संबंध में एक परिजन ने बताया कि उनका बेटा सुबह ठीक 8 बजकर 35 मिनट पर खालसा स्कूल पेपर देने के लिए पहुंच गया था। वह जैसे ही स्कूल के गेट पर पहुंचा तो उसे गेट बंद पाया मिला। इसी प्रकार कुल आठ छात्र परीक्षा देने अंदर नहीं जा पाए। स्कूल प्रशासन ने सुबह 8 बजकर 30 मिनिट पर ही गेट बंद कर दिए, जबकि गेट बंद करने का समय 8 बजकर 45 मिनिट है।
हंगामे की जानकारी लगते ही रांझी थाने की पुलिस भी स्कूल पहुंच गई और उचित कार्रवाई का आश्वासन देकर परिजनों को शांत कराया। इस संबंध में स्कूल प्रशासन का कहना है कि उन्होंने शासन के निर्देशानुसार तय समय पर ही स्कूल का गेट बंद किया था। खालसा स्कूल रांझी के सहसचिव दमनीत सिंह प्रिंस भसीन ने बताया कि जैसे ही हमें इस बात की जानकारी मिली तुरंत स्कूल पहुंचे। केंद्राध्यक्ष दीप्ति शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी आठ बजकर 57 मिनट पर स्कूल पहुंचे थे, जबकि हमें आठ बजकर 40 मिनट तक ही परीक्षा केंद्र में पहुंचने की अनुमति है। इसके बाद ही हमने आठ बजकर 47 मिनिट तक गेट खुला रखा, लेकिन विद्यार्थी उसके बाद परीक्षा देने पहुंचे।
वहीं, पेपर नहीं दे पाने वाले छात्रों ने बताया कि उन्हें दसवीं बोर्ड की गंभीरता मालूम है, जिसके चलते वे सही समय पर स्कूल पेपर देने के लिए पहुंचे थे। छात्रों ने बताया कि उन्होंने संस्कृत विषय को लेकर बहुत तैयारी की थी, लेकिन परीक्षा न देने मिलने से उनको बहुत बड़ा नुकसान हो गया है, जिसका खामियाजा उन्हें आगे भुगतना पड़ेगा।
छात्रा अंशु कुशवाहा के पिता अशोक कुशवाहा ने बताया कि समय पर ही परीक्षा केंद्र पहुंच गए थे, लेकिन गेट सुबह साढ़े आठ बजे ही बंद कर दिए गए। अगर स्कूल में कैमरा लगा हो तो टाइम भी देख सकते हैं कि हम समय पर पहुंच गए। पेपर नहीं देने की बात से बच्ची की तबीयत खराब हो गई। छात्रा के पिता का कहना है कि बेटी पढ़ने में बहुत तेज है। वो इस बात को सहन नहीं कर पा रही है। वह बेहोश हो गई थी। उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास उपचार लेकर गए। बेटी को सदमा सा लग गया है। डाक्टर ने एमआरआई करने के लिए कहा है। बेटी को पेपर देने के लिए हम बहुत गिड़गिड़ाएं लेने उसे पेपर नहीं देने दिया गया। मजदूरी करके बेटी को पढ़ा रहा हूं। पेपर नहीं दे पाने के कारण उसका भविष्य खराब हो गया है।
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने बताया कि स्कूल में हंगामा होने के बाद लगभग साढ़े नौ बजे केंद्राध्यक्ष का काल आया। उन्होंने बताया कि कुछ विद्यार्थी नौ बजे के बाद परीक्षा केंद्र पहुंचे, जबकि नियमानुसार आठ बजकर चालीस मिनट तक ही विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र पहुंचना होगा। विशेष परिस्थितियां में कुछ समय तक की छूट दी गई है। सुबह परीक्षा केंद्र में केंद्राध्यक्ष के साथ कलेक्टर प्रतिनिधि, सहायक प्रतिनिधि भी मौजूद थे। मैं सुबह पाटन केंद्र में आ गया था। स्कूल पहुंचकर मामले की जांच करेंगे।