जबलपुर : (Jabalpur) मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (former Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chauhan), भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ जबलपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अदालत में हाजिर नहीं होने पर 500-500 रुपये का जमानती वारंट जारी किया है। साथ ही अदालत ने सात जून तक की हाजिरी माफी की मोहलत को घटाकर सात मई तक कर दिया गया है। मामला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा की मानहानि केस से जुड़ा हुआ है।
दरअसल, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने एमपीएमएलए कोर्ट जबलपुर में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया था। परिवाद में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया। पूर्व सीएम शिवराज, वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने गलत बयान देकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ दिया। जिससे उनकी छवि धूमिल करके आपराधिक मानहानि की है। एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को तीनों के विरुद्ध मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
मामले में गत दो अप्रैल को सुनवाई के दिन तीनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह की तरफ से पेश वकील ने एक आवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस समय चुनाव चल रहे हैं इसलिए व्यस्तता के चलते स्वयं कोर्ट में उपस्थित होने में असमर्थ हैं। कोर्ट ने आवेदन पत्र पर नाराजगी जताई और इसे अस्वीकार करते हुए वकील को फटकार लगाई और तीनों नेताओं को 500-500 रुपये के जमानती वारंट से तलब किया। मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी, जिसमें तीनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा।
इससे पहले इन तीनों नेताओं को कोर्ट ने इस मामले में 22 मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया था, लेकिन उस दिन इन लोगों ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं होकर गैरहाजिरी माफ़ी आवेदन प्रस्तुत किया और खुद को लोकसभा चुनाव में व्यस्त बताते हुए एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्हें 7 जून तक का समय दिए जाने की मांग की, कोर्ट ने आवेदन स्वीकार करते ही एक शर्त लगाई कि वे दो अप्रैल को स्वयं उपस्थित होकर ये बात कोर्ट के सामने कहें। कोर्ट के आदेश के बाद भी तीनों नेताओं में से कोई भी दो अप्रैल को भी उपस्थित नहीं हुआ।
सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह की ओर से अधिवक्ता श्याम विश्वकर्मा, जीएस ठाकुर, सुधीर नायक व उमेश पांडे ने पक्ष रखा। यह मामला हाई कोर्ट में भी लगा था। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने तीनों नेताओं को लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के आधार पर हाजिरी माफी की व्यवस्था दिए जाने की मांग संबंधी याचिका पर अंतरिम राहत नहीं देते हुए इस सिलसिले में एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र कर दिया था। साथ ही हाई कोर्ट में याचिका की अगली सुनवाई 23 अप्रैल को निर्धारित कर दी थी।
विशेष न्यायिक न्यायाधीश (एमपी/एमएलए कोर्ट) विश्वेश्वरी मिश्रा ने मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। कोर्ट ने नाराज होते हुए कहा कि तीनों भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए इन पर कोर्ट के आदेश का सम्मान करने की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। आदेश में कहा गया कि सभी ”भाजपा के वरिष्ठ नेताओं” द्वारा व्यक्तिगत व्यस्तता बताकर न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं करने पर आमजन में गलत संदेश जाएगा।