
सुनो सखी, तुम कविता की बात करती हो
मैं चाहता हूं कि तुम्हारे लिए तारे तोड़ सकूं
तुम कहती हो कि आज सही समय है कविता का
पर सखी मैं हर पल तुम्हें कविता ही पाता हूं
जानती हो तुम्हारा होना मुझे आनंद से भर देता है
याद नहीं रहती कोई तकलीफ
यह इसलिए नहीं है कि मैं स्नेह करता हूं
यह इसलिए है कि तुम पूरा करती हो मेरे होने को
नहीं पता क्यों महसूस होता है वाइब्रेशन मुझे
पर यकीन मानो मैं बार-बार देखता हूं फोन
कहीं तुमने कुछ कहा तो नहीं
मैं इंतजार करता हूं कि
तुम कुछ कह दो
और मैं महसूस करूं वाइब्रेशन
सुनो सखी, जाने क्या है
जो जोड़ रहा है तुमसे
मैं नहीं जानता कैसे हो रहा है यह
पर प्यारी लड़की ये तुम हो
जो मुझे सुकूं से भर देती हो.
- अरुण लाल