हैदराबाद : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि तेलंगाना राज्य का गठन पानी, निधि और नियुक्तियों को मुख्य मुद्दा बनाकर आंदोलन को आगे बढ़ाया था। सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति की कड़ी आलोचना करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरप्लस बजट के साथ स्थापित हुआ तेलंगाना अब पूरी तरह कर्ज में डूब गया है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में अर्थव्यवस्था का प्रबंधन अच्छा नहीं है। हैदराबाद में आयोजित एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में निर्मला सीतारमण ने ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना की अर्थव्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई है। मुख्यमंत्री और इस सरकार से जनता का मोह भंग हो चुका है। अब केसीआर पर जनता भरोसा नहीं करना चाहती है। इस सरकार के प्रति जन आक्रोश सीमा लांघ रहा है। उन्होंने कहा कि दलित को मुख्यमंत्री बनाने का वादा केसीआर ने नहीं निभाया। किसानों के एकमुश्त कर्ज माफ करने का वादा नहीं निभाया। ग्राम पंचायत को निधियां नहीं दी। बेरोजगार भत्ता नहीं दिया और ना ही बेरोजगारों को नौकरी दी।
सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में “कालेश्वरम परियोजना का स्तंभ ढह गया जिसे तेलंगाना राज्य के लिए सबसे प्रतिष्ठित कहा जाता है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार की दलितबंधु योजना बहुत बढ़िया है लेकिन क्या इस योजना को लागू करने में सरकार सफल हो पाई है ?
मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने 10 साल पहले कहा था कि जब वह सत्ता में आएंगे तो किसी दलित व्यक्ति को सीएम बनाएंगे। इस वादे को पूरा करना तो दूर अब उनका हर तरफ से अपमान किया गया है।
निर्मला सीतारमण ने याद दिलवाई की पूर्व उपमुख्यमंत्री तातिकोंडा राजैया,डिप्टी सीएम बनाया गया और छह महीने के अंदर ही उन्हें उस पद से हटा दिया गया. ।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीसी के विकास के लिए 3,300 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा। केवल 77 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यह ज्ञात नहीं है कि उन सभी निधियों का उपयोग किस लिए किया गया था।
सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि तेलंगाना के 11 विश्वविद्यालयों में 2000 पद खाली हैं। देश में साक्षरता 72 फीसदी है जबकि तेलंगाना में 66 फीसदी है। यह राष्ट्रीय औसत से कम है।
तेलंगाना सरकार ने शिक्षा को उचित प्राथमिकता नहीं दी है। राज्य में लाखों नौकरियां खाली हैं। बेरोजगारी समस्या का समाधान ढूंढने में विफल रही है।
सीतारमण ने आरोप लगाया कि जिस राज्य का गठन पानी, निधि और नियुक्तियों के नाम पर हुआ था उसमें से कोई भी मुद्दे का समाधान ढूंढने में इस सरकार कामयाब नहीं हुई।