खुन्नस में होली के दूल्हे की नहीं निकली बारात, पूरे गांव में मायूसी
हमीरपुर : हमीरपुर के एक गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालकर होली खेलने की सैकड़ों साल पुरानी परम्परा इस बार टूट गई है। सरपंच के चुनाव की खुन्नस में परम्परा के टूटने से पूरा गांव मायूस है।
बुन्देलखंड क्षेत्र के हमीरपुर जिले के जरिया गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालकर होली मनाने की परम्परा तीन सौ साल पुरानी है। गांव के ही एक अधेड़ व्यक्ति को इस अनोखे आयोजन के लिए तैयार किया जाता है फिर उसे दूल्हा बनाकर घोड़ी में बैठाया जाता है। दूल्हे का पहले निकासी कराई जाती है फिर उसकी बारात बैंडबाजे के साथ निकाली जाती है। दूल्हे की बारात में पूरा गांव बाराती बनता है। गांव के सरपंच प्रतिनिधि अरविन्द गुरुदेव ने बताया कि होली के दूल्हे की बारात निकालकर होली मनाने की प्रथा सैकड़ों साल पुरानी है।
दूल्हा बारात लेकर गांव के सभी मंदिरों में देवी देवताओं की पूजा करता है फिर उसका स्वागत गांव के लोग करते हैं। गांव में हर घर की चौखट में दूल्हा घोड़ी में सवार होकर जाता है जहां महिलाएं दूल्हे का टीका करती हैं। इसके अलावा गांव में हिरणाकश्यप वध लीला का मंचन होता है। उन्होंने बताया कि गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालने के अलावा देवी देवताओं की शोभायात्रा भी धूमधड़ाके के साथ निकाली जाती है। पूरे दिन दूल्हे के साथ रंग और गुलाल उड़ाकर होली का त्योहार मनाया जाता है। गांव की सरपंच रागिनी ने बताया कि बुन्देलखंड का यहीं गांव अकेला है जहां होली का त्योहार बड़े ही अनोखे ढंग से मनाया जाता है। होली के दूल्हे की बारात देखने के लिए आसपास के इलाके से भी बड़ी तादाद में लोग आते हैं। पूरे दिन रंगारंग कार्यक्रम होते हैं लेकिन इस बार यह परम्परा टूट गई है।
आपसी खींचतान में टूट गई सैकड़ों साल पुरानी परम्परा
गांव में होली के दूल्हे की बारात निकालकर अनोखे ढंग से होली का पर्व मनाने की परम्परा इस बार आपसी खींचतान में टूट गई है। गांव के सरपंच प्रतिनिधि अरविन्द गुरुदेव ने बताया कि पुरानी परम्परा के कार्यक्रम सम्पन्न कराने के लिए बैठकें भी हुईं लेकिन बात नहीं बनी। पूरा गांव होली त्योहार पर परम्परा के आयोजन न कराए जाने से मायूस भी है।