गुवाहाटी : उल्फा के साथ शांति समझौते के प्रारूप को अंतिम रूप दे दिया गया है। 29 दिसंबर को सरकार के साथ उल्फा का समझौता होना लगभग तय है। भारत सरकार, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के प्रतिनिधियों के बीच प्रस्तावित समझौता ज्ञापन पर 29 दिसंबर को शाम 5 बजे नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए जाने संबंधी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस ऐतिहासिक समझौते में तीनों पक्ष शामिल होंगे।
इसकी घोषणा करते हुए असम सरकार ने 28 दिसंबर को माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स के जरिए बताया कि हस्ताक्षर समारोह में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह उपस्थित रहेंगे। समारोह में असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा के साथ अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेता भी शामिल होंगे।
उल्फा गुट के साथ चर्चा में शामिल सरकारी प्रतिनिधियों में खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका और पूर्वोत्तर मामलों पर सरकार के सलाहकार एके मिश्रा शामिल हैं। चीन-म्यांमार सीमा पर रहने वाले परेश बरुवा के नेतृत्व वाले कट्टरपंथी गुट के विरोध के बावजूद, इसके अध्यक्ष अरविंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा गुट ने 2011 में केंद्र सरकार के साथ बिना शर्त बातचीत शुरू की थी।
1979 में ”संप्रभु असम” की मांग के साथ गठित उल्फा की विध्वंसक गतिविधियों में संलिप्तता के कारण 1990 में केंद्र सरकार ने इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया। राजखोवा गुट ने 3 सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू की थी। उसी का नतीजा 29 दिसंबर को सामने आएगा।