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Good news : मुंबई लोकल में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग डिब्बा

अरुण लाल

मुंबई:(Good news) रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुंबई लोकल में एक अलग डिब्बा बनाने का निर्णय लिया है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दो बजे दोपहर से बात करते हुए कहा कि हम इसे तत्काल रूप से शुरू करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके लिए हम कम उपयोग में आने वाले लगेज डिब्बे को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित करने की जा रहे हैं।
वर्ष 2022 में दायर जनहित याचिका दायर कर
वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुंबई लोकल में अलग से व्यवस्था करने की मांग की गई थी। सूत्रों की माने तो रेलवे ने कोर्ट के सवाल के जवाब में कहा कि जल्द ही वे बुजुर्गों के लिए एक अलग से डिब्बा आवंटित करने की योजना बना रहा है।

रेलवे ने कोर्ट में दिया हलफनामा

2009 की जनहित याचिका में कहा कि मुंबई में लगभग 50 हजार वरिष्ठ नागरिक प्रतिदिन मुंबई लोकल ट्रेनों से यात्रा करते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि सुबह और शाम के पीक आवर में ट्रेन में अक्सर युवा यात्रियों का कब्जा रहता है। इस समय बुजुर्गों के लिए आरक्षित सीटों पर उन्हें चढ़ने में भारी दिक्कतें होतीं हैं।
सूत्र ने कहा कि रेलवे ने हाल ही में अदालत में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि एक लगेज (सामान) डिब्बे को वरिष्ठ नागरिकों के उपयोग के लिए परिवर्तित और आरक्षित किया जा सकता है।

किया गया था वेंडर्स डिब्बे का सर्वेक्षण

बता दें कि कुछ महीने पहले रेलवे ने वेंडर्स डिब्बे के उपयोगकर्ताओं का एक सर्वेक्षण किया था। इसमें पाया गया कि लगेज डिब्बे में लगभग 90 प्रतिशत सामान्य श्रेणी के यात्री यात्रा कर रहे हैं, और शेष वे लोग हैं जिनका उपयोग विक्रेता अपना माल ढोने के लिए करते हैं। ऐसे में यदि चार लगेज डिब्बों में से एक को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित करने से वेंडर टिकट रखने वालों को परेशानी नहीं होगी।
अधिकारी ने कहा कि भारी भीड़ में जनरल कोच में वरिष्ठ नागरिक चढ़ पाएं इसकी भी गुंजाइश नहीं है। अब जब लगेज डिब्बे का कम इस्तेमाल होता है, तो हमने योजना बनाई है कि एक लगेज डिब्बे को वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित कर दिया जाए।

एक कोच में किसके लिए कितनी सीटें

सेंट्रल रेलवे में 12 डिब्बे की ट्रेन के एक कोच में 88 सीटों वाले 4 सामान्य प्रथम श्रेणी डिब्बे, 3 महिलाओं के लिए 39 सीटें और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए दो डिब्बों में 38 सीटें हैं। महिला डिब्बों में तीन डिब्बे हैं, जिनमें 221 सीटें हैं और सामान्य डिब्बों में 8 डिब्बों में 628 सीटें हैं।

स्वत: संज्ञान जनहित याचिका

याचिका के बाद, जनवरी 2015 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पश्चिमी और मध्य रेलवे को प्रत्येक उपनगरीय ट्रेन में विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए 14 सीटें आरक्षित करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन पर दूसरों का कब्जा न हो। इससे पहले, कुछ सीटें वरिष्ठ नागरिकों के लिए आरक्षित थीं, लेकिन यह गैर-पीक घंटे के दौरान थी।
2014 में, न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति ए एस गडकरी की खंडपीठ ने एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई की थी, जिसे ए बी ठक्कर द्वारा लिखे गए एक पत्र से परिवर्तित किया गया था, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक अलग डिब्बे के आरक्षण का आग्रह किया गया था।

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