भारत को स्वर्ण

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सोना लेकर, गौरव लाया,
उस नीरज का नमन करो,
राष्ट्र गान ओलंपिक में,
बजता है, सारे नमन करो।

चांदी आया, कांस्य भी आया,
यही लालसा बाकी थी,
भारतीयों के दिल से निकली,
भूख जरा सी बाकी थी।

सत्तासी मीटर से ज्यादा,
भाला जाता देख लिया,
पदक तालिका में सोने का,
भारत ने आलेख किया।

स्वर्ण पदक की दौड़ में
तेरह वर्ष लगे है, मान करो,
भारत वाले हो तो मिलकर,
सारे ही जयगान करो।

ध्वजा हमारी उठी आज,
सारे सुकून की सांस भरें,
इस क्षण का अनुभव करके,
सुखद सभी एहसास करें।

डॉ. हिमांशु शेखर

डॉ. हिमांशु शेखर एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, एक अभियंता हैं, प्राक्षेपिकी एवं संरचनात्मक दृढ़ता के विशेषज्ञ हैं, प्रारूपण और संरूपण के अच्छे जानकार हैं, युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित हैं, गणित में गहरी अभिरुचि रखते हैं, ज्ञान वितरण में रूचि रखते हैं, एक प्रख्यात हिंदी प्रेमी हैं, हिंदी में 13 पुस्तकों के लेखक हैं, एक ई – पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं, राजभाषा पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित हैं, हिंदी में कवितायेँ और तकनीकी लेखन भी करते हैं, रक्षा अनुसंधान में रूचि रखते हैं, IIT कानपुर और MIT मुजफ्फरपुर के विद्यार्थी रहें हैं, बैडमिन्टन खेलते हैं|