इस सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज हुई फ़िल्म ‘प्यार के दो नाम’ प्रेम की नई परिभाषा बताती है और इस वजह से यह आज के युग की एक अनोखी प्रेम कहानी है। नागिन 6 और कसौटी ज़िंदगी की जैसे धारावाहिकों से अपनी पहचान बनाने वाली भव्या सचदेवा ने फ़िल्म में अपनी असल एक्टिंग से प्रभावित किया है। अंकिता साहू ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया है।
फ़िल्म की कहानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ‘शांति’ पर एक सेमिनार के इर्द-गिर्द घूमती है। कबीर और साइमा को सेमिनार में यूनिवर्सिटी के आतिथ्य का ख्याल रखने के लिए चुना जाता है। कबीर और साइमा एक दूसरे से पागलों की तरह प्यार करते हैं। कहानी में मोड़ उस वक्त आता है, जब कायरा सिंह और आर्यन खन्ना इस सेमिनार में भाग लेने आते हैं। इत्तेफाक से उन्हें एक ही गेस्ट हाउस के कमरों में ठहराया जाता है। आर्यन को पहली नजर में ही कायरा पसंद आने लगती है लेकिन दोनों के बीच एक लड़ाई भी शुरू हो जाती है। कायरा तय करती है कि उसकी जिंदगी में आर्यन के लिए कोई जगह नहीं है और वो आर्यन के सामने अपनी नफरत भी जाहिर करती है।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब दो प्रेमियों के बीच दो दर्शनों की लड़ाई शुरू होती है। कायरा इस बात पर अड़ी है कि अगर प्यार है तो हमें जिंदगी भर साथ रहना होगा, जबकि आर्यन का मानना है कि जब तक प्यार है, हम साथ रहेंगे। अब आगे का क्लाइमेक्स जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी कि प्यार के दो विचारों में से कौन जीतता है।
इश्क सुभान अल्लाह, सूफियाना प्यार मेरा और सन्यासी मेरा नाम जैसे टीवी शोज़ के लेखक दानिश जावेद ने इस आधुनिक प्रेम कहानी का बेहतरीन निर्देशन किया है। उन्होंने नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी के प्रेम दर्शन और उनके विचारों को सामने रखा है। भव्या सचदेवा और अंकिता साहू की केमिस्ट्री फ़िल्म में असरदार है। दोनों की नोकझोंक हो या लव मेकिंग सीन हों, या गाने हों दोनों ने कमाल का काम किया है। कनिका गौतम और अचल टंकवाल ने भी अपनी अदाकारी की गहरी छाप छोड़ी है। शेष कलाकारों ने भी यादगार अभिनय किया है।
फिल्म के संवाद दिल को छू लेने वाले और याद रह जाने वाले हैं। फिल्म में सारे डायलॉग सिचुएशन और किरदारों की जरूरत के अनुसार लिखे गए हैं। फिल्म का गीत और संगीत काफी मेलोडियस है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लोकेशन भी काफी अच्छे से शूट की गई है।