spot_img
Homecinema galiEntertainment: जो भी करें पूरी तैयारी से करें : दुर्गेश कुमार

Entertainment: जो भी करें पूरी तैयारी से करें : दुर्गेश कुमार

मैं दरभंगा जिले का रहने वाला हूं। मैं एकदम आम आदमी रहा हूं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कलाकार बनूंगा। मेरी 12वीं तक की पढ़ाई दरभंगा में हुई, इसके बाद मैंने इंजीनियरिंग की तैयारी की, पर वहां हुआ नहीं, तो मैं दिल्ली आ गया। मेरे बड़े भाई डॉक्टर शिवशक्ति बहुत पढ़े-लिखे व जहीन इंसान हैं, उन्होंने मुझे कहा कि मैं एक्टिंग में आऊं। मुझे एक्टिंग के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मैं तो बीएड करके टीचर बनना चाहता था। भाई के कहने पर मैंने 2001 में थिएटर करना शुरू किया। इसके बाद श्रीराम सेंटर ऑफ परफॉर्मिग आर्ट से दो साल का डिप्लोमा किया। इसके बाद ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रॉमा) से एक्टिंग की। इसके बाद यहीं पर मुझे एक साल की फेलोशिप मिल गई, इसके बाद मुझे यहीं पर रेपेट्री मिल गई। (रेपेट्री नेशनल स्कूल ऑफ ड्रॉमा का एक एक्टरर्स विंग होता है जहां सरकार कलाकारों को वेतन देती है। हमारे समय में यह 6 वर्ष तक मिलता था, उस समय 24 हजार 400 रूपए मिलता था) मैंने एक साल किया इसी समय मुझे हाइवे मिली। और मैंने रेपेट्री छोड़ दिया और सिनेमा की दुनिया में कदम रखा।

तैयार होकर आना चाहिए नए कलाकारों को

मैं अक्सर कहता हूं कि लोगों को सिनेमा में आना चाहिए। कई बार इंटरव्यू में मेरी कही बात को लोग गलत तरीके से पेश करते हैं। मैं समझता हूं कि मुंबई में कलाकार बनने की चाह में लाखों लोग आते हैं, पर उनकी तैयारी नहीं होती तो उन्हें यहां बहुत-सी दिक्कतें होतीं हैं। यहां मेंटली टॉर्चर झेलना होता है। इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं कि आप जो भी करना चाहते हैं उसके लिए जोरदार तैयारी करनी चाहिए। यह बात उन कलाकारों पर लागू नहीं होती जो वर्षों सिनेमा या टीवी की दुनिया में हैं।

वेटिंग समय सबसे खराब होता है

कला की दुनिया इतनी विविध और बड़ी है कि यहां लाखों की भारी भीड़ है। हर कोई आंखों में सपने लिए यहां आ जाता है। बहुत सारे लोग टैलेंटेड भी हैं। पर आप जब अपने हिस्से का काम कर चुके होते हैं, तो भी आपको इंतजार करना पड़ता है। यह इंतजार अक्सर बहुत से लोगों को तोड़ देता है। जो लोग इस इंतजार को काट लेते हैं, उन्हें सफलता मिलती है।

प्रेम सात्विक होना चाहिए

मुझे भी एक बार प्रेम हुआ था, पर वह एकतरफा था, वह मेरे रेंज से बाहर थी। मैंने उसे बेइंतहा प्रेम किया। इस प्रेम ने मु्झे झंझोड कर रख दिया। मुझे बड़ा समय लगा इससे बाहर आने में। इसके बाद से मैंने अपना पूरा ध्यान में काम पर लगाया। मैं विवाह में विश्वास रखता हूं, पर मैं प्रेम को सत्विक मानता हूं। मुझे सीधी-साधी पत्नी चाहिए जो घर परिवार देखे।

नेपोटिज्म निरर्थक विवाद है

मैं समझता हूं कि नेपोटिज्म की बातें निरर्थक विवाद है। यह वही लोग करते हैं, जिन्हें कम समय, कम मेहनत में ज्यादा सफलता चाहिए होती है। अगर नेपोटिज्म जैसी कोई चीज होती तो मुझ जैसा गांव का आदमी आज लोकप्रियता नहीं पाता। मैं तो एकदम नया हूं यहां मुझसे पहले बहुत से आम परिवारों के लोगों ने बड़ी जगह बनाई है। मैं कहता हूं कि मेहनत करो, लगातार मेहनत करो, समय लगेगा पर सफलता मिलेगी।

समाज में लालच बहुत है

हम पहले से बेहतर समाज में रह रहे हैं। यहां बहुत कुछ बेहतर है। सभी को मौका मिल रहा है। पर समाज में बहुत सी दिक्कत आ गई है। लोग बहुत लालची हो गए हैं। पैसा, शक्ति, सम्मान इसके लिए लोग आत्मा तक को बेचने को तैयार हैं। लोग इतने लालची हैं कि शादी-शुदा होने के बावजूद दूसरे की पत्नी या पति को पाना चाहते हैं। यह लालच किसी भी समाज के लिए बेहतर नहीं है। यह समाज को बर्बादी की तरफ ले जाएगा।

मिडिल क्लास की कहानियों का दौर है

सिनेमा में बहुत से दौर आते हैं, आज मिडिल क्लास की कहानी का दौर है। पंचायत उसकी का नतीजा है कि लोग इसे इतना सराह रहे हैं। सुपर 30, दम लगाकर हईशा, जैसी बहुत सारी फिल्मों ने जबरदस्त लोकप्रियता पाई। दो बीघा जमीन बहुत हिट हो गई। इन कहानियों में गांव के कलाकारों को मौका मिल रहा है। इसके पहले आप देख लीजिए मिडिल क्लास की कहानियां खूब चल रही हैं।

साधारण कपड़े पहनने का क्या राज है

देखिए मैं ऐसा ही हूं। मेरे पिता ने मुझे सादगी की शिक्षा दी है। यदि कोई मुझे मेरे कपड़े से जज करता है तो वह करे। मुझे अपने कपड़े से नहीं काम से मजबूत होना है। यही मेरी पहचान है। मेरे पास एक्टिंग पर 10 हजार की किताबें रखी हैं। दिन भर पढ़ना और काम करना यही मेरा काम है।

spot_imgspot_imgspot_img
इससे जुडी खबरें
spot_imgspot_imgspot_img

सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली खबर