मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन (भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) को भारी जीत के संकेत मिल रहे हैं। 288 सीटों वाले इस राज्य में मतगणना के रुझानों के अनुसार, महायुति सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है।
मुख्य बातें:
- एकनाथ शिंदे का बयान:
- मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि गठबंधन में ऐसा कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है कि सबसे अधिक सीटें जीतने वाली पार्टी का नेता ही मुख्यमंत्री बनेगा।
- उन्होंने अपनी सरकार की जन-समर्थक नीतियों को इस सफलता का मुख्य कारण बताया।
- शिंदे ने ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ को जीत का अहम कारक बताया, जिसमें पात्र महिलाओं को ₹1,500 की सहायता राशि दी जा रही है।
- महायुति का नेतृत्व:
- गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री के नाम पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा जैसे वरिष्ठ नेता इस पर फैसला करेंगे।
- भाजपा के विधायक प्रवीण दरेकर ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है।
- महायुति की सफलता के कारण:
- महायुति की जीत को विकास परियोजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं का समर्थन बताया गया है।
- शिंदे ने कहा कि जनता ने विपक्षी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए उनके काम को समर्थन दिया है।
- विपक्ष पर तंज:
- शिंदे ने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने केवल आरोप-प्रत्यारोप में समय गंवाया, जबकि उनकी सरकार ने जनता के लिए काम किया।
- शिंदे ने यह भी कहा कि विपक्ष के पास प्रभावी नेतृत्व की कमी है, जिससे विधानसभा में उनका नेता चुनना मुश्किल हो सकता है।
मुख्यमंत्री पद की दौड़:
- एकनाथ शिंदे:
- शिंदे अपनी सरकार की योजनाओं को चुनावी सफलता का आधार मानते हुए पद पर बने रहने के इच्छुक हो सकते हैं।
- देवेंद्र फडणवीस:
- भाजपा विधायक और कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहता है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और लोकप्रियता भी उनके पक्ष में जाती है।
- गठबंधन की चर्चा:
- गठबंधन के नेताओं के बीच इस पर जल्द ही औपचारिक चर्चा होगी।
‘माझी लाडकी बहिन योजना’ का प्रभाव:
यह योजना, जिसमें महिलाओं को वित्तीय सहायता दी गई, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के बड़े वोट बैंक को आकर्षित करने में कारगर रही। इससे महायुति को महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवारों का समर्थन भी मिला।
निष्कर्ष:
महायुति की जीत से स्पष्ट है कि सरकार की जनहितकारी योजनाओं और विकास कार्यों को मतदाताओं का समर्थन मिला है। मुख्यमंत्री पद को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय से इसे सुलझाया जाएगा। वहीं, विपक्ष को इस हार के बाद आत्ममंथन करना होगा, क्योंकि राज्य की राजनीति में उनका प्रभाव कमजोर होता दिख रहा है।