संपादकीय: …क‍ि कोई यूं ही नहीं कुचला जा सकता..!

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संपादकीय : आख‍िर जनता सच जाने कहां से

3 अक्‍टूबर को उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तुकुन‍िया में घटी घटना ने आम लोगों को चौंका द‍िया है। लोग सदमे में हैं क‍ि आखिर यह हुआ क्‍या और कैसे हो सकता है यह..! जनता पूरे मामले को ठीक से समझना चाहती है, पर ज्‍यादातर लोगों तक सही सूचनाएं नहीं हैं क‍ि वास्‍तव में क्‍या हो गया।

जनता जानना चाहती है क‍ि क्‍या एक व्‍यक्‍त‍ि सच में सत्‍ता के नशे में इतना चूर हो सकता है क‍ि वह भीड़ पर पीछे से गाड़ी चढ़ा दे…! जनता यह भी समझना चाहती है क‍ि अब तक ब‍िना क‍िसी को नुकसान पहुंचाए आंदोलन कर रही भीड़ ने क्या लखीमपुर खीरी में अपना सब्र खो द‍िया है..? और वह अनायास ही लोगों की हत्‍या कर रही है..! या कुचले जाने के बाद भीड़ जो करती आई है वही हुआ..! क्या कोई ऐसा एक्सीडेंट है जिसमें पकड़े जाने पर भीड़ ने व्यक्ति को सुरक्षित छोड़ दिया हो..!?

ऊपर से भले ही लग रहा हो कि जनता सत्ता और विपक्ष में बंटी हुई है, पर सच तो यह है क‍ि लोग सच जानना चाहते हैं कि लखीमपुर खीरी में क्या हुआ! और सरकार कर क्या रही है..! लखीमपुर खीरी ऐसा मसला है, जब लोग खुद को अपने राजनीतिक व‍िचार अलग रखते हुए सच जानने को उत्‍सुक हैं, पर सच आम लोगों से कोसों दूर नजर आता है। कहीं कोई ऐसा माध्‍यम नहीं द‍िखता जहां से सच जाना जा सके। हर कोई अपने-अपने ह‍िसाब से चीजों को रख रहा है।

ब‍िना यह सोचे क‍ि इससे उसकी साख समाप्ति की ओर है। एक व्‍यक्‍ति पर आरोप है क‍ि उसने लोगों पर गाड़ी चढ़ाकर हत्‍या कर दी और उसके ख‍िलाफ मामला तक दर्ज नहीं होता..! वह टीवी पर आराम से बैठकर बता रहा होता है क‍ि वह वहां था ही नहीं..! और सत्ता से नालबद्ध मीड‍िया अपनी ओछी चालाक‍ियों से हाथी को चूहा बताने में जुटी हुई है। क‍िसान ज‍िस व्‍यक्‍त‍ि पर गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। उसके आपराध‍िक बैग्राउंड को दरक‍िनार करते हुए बहुत सारे लोग यह बताने में जुटे हुए हैं क‍ि खाल‍िस्‍तानी झंडा और खाल‍िस्‍तानी नारे लगाए जा रहे थे। कोई कहीं भी कुछ सोचने को तैयार ही नहीं है..!

यस सर की चमचागीरी में मीड‍िया लखीमपुर खीरी में जो घ‍िनौनी र‍िपोट‍िंग कर रहा है, उससे उसका क‍ितना नुकसान हो रहा है यह उसकी सोच से परे है। मीड‍िया यह समझ नहीं पा रहा है क‍ि वर्तमान में जनता क‍िसी पार्टी वर्कर की तरह नहीं सोच रही है। वह लखीमपुर खीरी की पूरी घटना से आक्रोश‍ित है और सच को समझना चाहती है। जनता के पास अपना अनुभव है और वह सवाल कर रही है, खुद से क‍ि क्‍या कोई आंदोलनकर्ता इतना मूर्ख होगा क‍ि वह सरकार के ख‍िलाफ कर रहे आंदोलन में खालीस्‍तानी झंडे और नारे लगाएगा. ! वह भी ऐसी सरकार की मौजूदगी में जो ताक में बैठी हो क‍ि कोई गलती करें (और उत्तरप्रदेश सरकार की भाषा में कहें) तो सबकी सुताई-ठोकाई हो जाए।

मंजुल | ट्विटर/@MANJULtoons

जनता यह भी समझना चाहती है क‍ि लखीमपुर खीरी के ज‍िस हादसे से पूरा देश दहला हुआ है, उसके मुख्‍य आरोपी पर क‍िसी तरह का मामला भी दर्ज नहीं क‍िया गया। जनता बस समझना चाहती है क‍ि आख‍िर इस देश की जनता है क्‍या..! क्या वह इंसान है? क्‍या इसानों पर इस तरह से गाड़ी चढ़ाने का जघन्‍य अपराध यूं ही म‍िटाया जा सकता है..! वह समझ नहीं पा रही है क‍ि सच क्‍या है…शायद जनता को समझाने वाले समझने लगे हैं कि जनता के पास अपनी समझ नहीं है..!

मामूली हत्‍याओं को कुछ ही पल में सुलझाने वाली पुल‍िस इतने बड़े मामले में चुप है। उत्‍तर प्रदेश पुल‍िस के मुख‍िया सरकार का प्रचार करते हुए यह कहते नजर आ रहे हैं क‍ि सरकार अपराध‍ियों को जरूर सजा द‍िलाएगी। कैसे-कब यह सब जानना चाहती है जनता…!

दरअसल, इस बार जनता यह मानने को तैयार नहीं है क‍ि यह पार्टी की बात है, वह इस घटना में अपना भविष्य देख रही है..!जनता यह देख रही है क‍ि आज इस पार्टी का दबंग है, कल उस पार्टी का दबंग होगा, आज उस तरफ की जनता कुचली गई है कल इस तरफ की जनता कुचली जा सकती है। वह कुचले जाने और उसके प्रचार-प्रसार से डर गई है, आक्रोशित है।

21वीं सदी में जब पल भर में सारी सूचनाएं, दुन‍ियाभर में फैल जातीं हैं, ऐसे समय में सच जानना इतना कठ‍िन हो जाना शर्मनाक है। मीड‍िया आम को अमरूद साब‍ित करने में जुटी हुई है। इस पूरे मामले में सबसे ज्‍यादा मरा है, तो जनता का ‘यह विश्वास’… क‍ि कहीं कोई होता है, जो सच को सामने लाता है… क‍ि कोई यूं ही कुचला नहीं जा सकता..!